वैदिक धर्म के अनुसार वासुदेव द्वादशी व्रत (Vashudev Dwadashi Vrat) पर्व भगवान श्री कृष्ण के नाम से प्रसिद्ध है। ये व्रत वासुदेव और माता देवकी ने किया था। माना जाता है की जो भी इस दिन व्रत रखता है, उसके सारे पाप खत्म हो जाते हैं और उन्हें संतान की भी प्राप्ति होती हैं। आइये जानते है इस व्रत की कुछ विशेष 10 बातें –
- वासुदेव द्वादशी व्रत (Vashudev Dwadashi Vrat) हर वर्ष आषाढ़ महीने में देवशयनी एकादशी के बात मनाते हैं।
- इस दिन भगवान कृष्ण के साथ ही माता रुक्मणि की पूरी विधि के साथ पूजा होती है।
- वासुदेव द्वादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी का भी पूजन किया जाता है।
- नारद मुनि ने वसुदेव और देवकी को जेल में यह व्रत करने के लिए कहा था। जिसके बाद भगवान कृष्ण का जन्म हुआ।
- भगवान कृष्ण का एक नाम वासुदेव भी है।
- ये दिन विष्णु सहस्रनाम का जप किया जाता है, ऐसा करने से कष्ट दूर होते है।
- इस व्रत से पुत्र प्राप्त करने के लिए भी करते हैं।
- यह व्रत को रखने से सभी पापों का नाश हो जाता है।
- इस व्रत को रखने से खोया हुआ राज्य और संपदा वापस मिल जाती है।
- वासुदेव द्वादशी व्रत के दिन सोने की बनी प्रतिमा दान भी की जाती है।
आज इस पोस्ट के माध्यम से अपने जाना की वासुदेव द्वादशी के क्या महत्वता है, ऐसे ही और निबंध आपको हमारे Hindi Essay पेज पे मिलते रहेंगे। इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ Share करें और Social Media पर भी Share करें ताकि सभी को वासुदेव द्वादशी की विशेषताएं पता चले और अगर आपको कुछ सुझाव देना हो, तो Comment Box में लिखे हमें अच्छा लगेगा।
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