भारत देश दुनिया भर में अपनी विशेषता “अनेकता में एकता के लिए जाना जाता है”. ऐसा कहा जाता है कि भारत में प्रत्येक पग पर भाषा, बोली, पहनावा और यहाँ तक कि खान-पान भी बदल जाता है. ऐसे में भारतीय भाषाओं की बात करी जाए तो ऐसी अनेको भाषाओं का वास हमरे यहाँ है और यदि इनसे जुड़ी बोलियों को भी गिन लिया जाए तो इनकी संख्या हज़ारो में चली जाती है. अतः भारत में कितनी भाषाएं बोली जाती यह केवल संविधान के आधार पर माना जाता है.
भारत का संविधान कुल 22 भारतीय भाषाओं को आधारिक भाषा का दर्ज़ा देता है. इन 22 भाषाओं में शामिल है :- हिंदी, तमिल, तेलुगु, मराठी, असमिया, बोडो, कन्नड़, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, गुजराती, बांग्ला, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, डोगरी, संथाली, मैथिली, नेपाली, कोंकणी, उर्दू .
भारतीय संविधान की आठवीं सूची में इन 22 क्षेत्रीय भाषाओं को स्थान दिया गया है. इसके पीछे दो मुख्या कारण है जिन्हें जानने के ज़रुरत है. पहला कारण है इन भाषाओं का राजभाषा आयोग में उचित प्रतिनिधित्व और दूसरी वजह है इनकी सहायता से हिंदी भाषा को रूप एवं शैली के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर समृद्ध बनाने का. खासकर उन राज्यों में जहाँ हिंदी भाषा बेहद कम बोली जाती है.
आज के समय में देश में केवल दो ही आधिकारिक या फिर कहें तो 2 राजभाषा है. वे दोनों भाषा है हिंदी और अंग्रेजी. सारे सरकारी आदेश आमतौर पर इन्हीं दो भाषाओं में होते है. हालाँकि भारत में कोई भी राष्ट्रीय भाषा नहीं है और आपको जानकार हैरानी होगी कि ब्रिटेन एवं संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में भी अंग्रेजी को राष्ट्रीय भाषा का दर्ज़ा प्राप्त नहीं है. हालाँकि कि समय-समय पर भारत की तरह इन पश्चिमी देशों में भी राष्ट्रीय भाषा बनाये जाने की मांग उठती रही है.
संयुक्त राष्ट्र में भी हिंदी भाषा को विश्व की अधिकारी भाषाओं की सूची में शामिल किये जाने की मांग उठ चुकी है. दुनिया में सबसे अधिक बोली जानी वाला भाषा मैंडरिन चाइनीज़ है जो कि चीन की आधिकारिक भाषा है. इसके बाद दूसरे स्थान पर अंग्रेजी और तीसरे स्थान पर हिंदी का नाम आता है.
हमारे देश में अलगभग 45 प्रतिशत आबादी हिंदी भाषा को बोलती है. इसके अलावा यदि 22 अन्य भाषाओं को जोड़ दिया जाए तो करीब 90 प्रतिशत लोग भारतीय भाषाओं को बोलते है. वैसे एक अनुमान के मुताबिक यदि हम भारतीय भाषाओं बोलियों एवं विदेशी भाषाओं को मिलकर गिनती करें तो भारत में बोले जाने वाली कुल भाषाओं की संख्या करीब 150 से ऊपर पहुँच जाती है.
भारत वाकई ही भाषाओं का देश है और शायद जितनी प्राचीन और नवीन भाषाओं का संगम यहाँ होगा उतना बाकी दुनिया मिलकर भी नहीं बना सकती है. इसीलिए भारत को विविधता प्रधान देश कहते है जहाँ विभिन्न भाषाई लोग एक साथ रह सकते है और अपनी मातृभाषा का इस्तेमाल कर सकते है. ऐसा देश पूरी दुनिया में कोई भी नहीं है जहाँ भाषाओं की इतनी संप्रभुता एवं समृद्धि दोनों ही साथ में देखने को मिले. उम्मीद करते है अब आपको भारत में कितनी भाषाएं बोली जाती हैं , इस शीर्षक की जानकारी मिल गई होगी।
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