रक्षाबंधन पर निबंध I (Essay on Raksha Bandhan In Hindi)
भारत त्योहारों का देश है इन्हीं में से एक त्यौहार है, रक्षाबंधनl
रक्षाबंधन जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है रक्षा का बंधन अर्थात किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना, रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है इस दिन सभी भाई-बहन सुबह उठकर नए कपड़े पहन कर तैयार होते हैं बहने रक्षा सूत्र बांधने तक कुछ नहीं खाती हैंl
इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी अथवा रक्षा सूत्र बांधती हैं फिर उन्हें मिठाई खिलाती हैं मिठाई खिलाने के पश्चात बहनें अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं तथा भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन देते हैं तथा उन्हें उपहार देते हैं वैसे तो रक्षाबंधन स्नेह का एक ऐसा बंधन होता जो सर्वस्व देकर भी नहीं चुकाया जा सकता l
भारत में रक्षाबंधन के त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है इस दिन अगर भाई बहन दूर होते हैं तो एक दूसरे से मिलने के लिए उस दूरी को जरूर तय करके आते हैं भाई बहनों के बीच में लड़ाई होना तो आम बात है लड़ाई होने से उनके बीच प्यार कभी कम नहीं होता|
रक्षा बंधन इतिहास (Raksha Bandhan History in Hindi)
रक्षाबंधन के उपलक्ष में कुछ लोक कथाएं प्रचलित हैं जो निम्न है:-
1- यह कथा बहुत ही पुरानी है जिसका वर्णन भविष्य पुराण में भी मिलता है जिसके अनुसार एक बार 12 वर्षों तक देवों और असुरों में युद्ध चल रहा था जिसमें देवों की हार हो रही थी तभी इंद्रदेव बहुत दुखी होकर ब्रह्माजी के पास गए जहां पर इंद्र देव की पत्नी सूची बैठी थी इंद्र की या व्यथा देखकर इंद्राणी उनसे बोली कि “कल ब्राह्मण शुक्ल की पूर्णिमा मैं आपको एक अभिमंत्रित रक्षा सूत्र दूंगी जिसे आप कल ब्राह्मणों द्वारा बनवा लीजिएगा जिस से आप उस युद्ध में जरूर विजयी होंगे” इंद्रदेव ने अगले ही दिन उस रक्षा सूत्र को बृहस्पति के द्वारा अपने कलाई पर बनवाया जिससे वह देवों सहित उनकी विजय हुई | तभी से ब्राह्मणों के द्वारा रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा इस दिन बहनें अपने भाई के उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं|
2- महाभारत काल में जब श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध अपने चक्र से किया था तो चक्र वापस लौटते समय श्रीकृष्ण की उंगली को घायल कर दिया था जिससे उनके उंगली से रक्त का स्राव होने लगा था जिसे देखकर द्रोपदी ने अपने साड़ी का किनारा फाड़ कर उनके हाथ पर बांधा जिसके पश्चात श्री कृष्ण ने उन्हें उनको उनकी रक्षा का वचन दिया तभी जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था तब श्रीकृष्ण ने उनकी लाज रखी थी|
3- प्राचीन काल की एक और कहानी प्रचलित है जिसका वर्णन महाभारत में मिलता है जो इस प्रकार है जब राजा बलि ने 100 यज्ञ पूर्ण कर के राजा इंद्र से स्वर्ग छीनने का प्रयत्न किया तब इंद्र और सभी देवो ने श्री भगवान श्री विष्णु से प्रार्थना की अब भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण करके दानवेंद्रो राजा बलि के पास भिक्षा मांगने पहुंचे और भिक्षा स्वरूप उनसे तीन पग भूमि मांगा गुरु शुक्राचार्य के मना करने पर भीराजा बलि ने तीन पग भूमि दान करने का वचन दे दिया भगवान ने तीन पग में आकाश धरती पाताल तीनो को इनाम दिया तथा भगवा राजा बलि को रसातल में भेज दिया।
राजा बलि का घमंड चूर चूर हो गया जिससे यह दिन बलेव नाम से भी प्रसिद्ध हुआ राजा बलि ने दिन-रात तप करके भगवान से हर समय अपने सामने रहने का वचन ले लिया। भगवान के घर वापस न लौटने से लक्ष्मी जी परेशान होने लगी तभी नारद जी ने उन्हें उपाय बताया| उस उपाय का पालन करते हुए लक्ष्मी जी ने राजा बलि के हाथ में रक्षा सूत्र बांधकर उनसे अपने पति को वापस ले जाने की इच्छा व्यक्त की राजा बलि ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए भगवान विष्णु को उनके साथ वापस भेज दिया।
4- एक बार ग्रीक नरेश सिकंदर और पोरस में युद्ध हो रहा था तो सिकंदर की पत्नी ने पोरस पोरस को अपना भाई बनाते हुए उनके हाथ पर रक्षा सूत्र बांधा और उनसे यह वचन लिया व उनके पति पर प्राणघातक हमला नहीं करेंगे तभी युद्ध में जब पोरस ने सिकंदर को मारने के लिए तलवार उठाई तो उसने अपने दाहिने हाथ पर बंधे उस रक्षा सूत्र को देखा और सिकंदर को ना मारते हुए उसे जाने दिया जिसके कारण पोरस बंदी बना लिया गया| सिकंदर ने पोरस का सम्मान करते हुए उससे व्यापार करते हुए उसका राज्यों से वापस कर दिया|
5- इसी क्रम में मध्यकालीन इतिहास में एक घटना और मिलती है जिसके अनुसार चित्तौड़ की महारानी कर्णावती दिल्ली के बादशाह हुमायूं को अपना भाई मानते हुए उन्हें राखी भेजी तथा राखी के साथ एक चिट्ठी भी भेजी जिसमें उन्होंने अपनी राज्य की रक्षा के लिए उनसे सहायता मांगी थी तभी बादशाह हुमायूं ने उस राखी को स्वीकार करते हुए अपनी बहन कर्णावती की सहायता के लिए के लिए चित्तौड़ के लिए रवाना हो गए और गुजरात के बादशाह बहादुर शाह से युद्ध किया| बादशाह हुमायूं ने अपने भाई होने का फर्ज अदा किया।
रक्षाबंधन का त्यौहार सिर्फ भाई बहनों का ही नहीं बल्कि यह पूरे परिवार का एक ऐसा त्यौहार होता है जिस समय सारा परिवार एक साथ जुड़ते हैं और सभी इस दिन को एक साथ मनाते हैं जिससे उस परिवार के बीच में और भी खुशहाली और उनके मध्य जो संबंध हैं वह और भी मजबूत होते हैं बहन के द्वारा भाई के हाथ में बांधे जाने वाले रक्षा सूत्र में जितनी ताकत होती है उतनी शायद किसी लोहे की जंजीर में भी नहीं होती है जिस तरह से भगवान श्री कृष्ण, बादशाह, हुमायूं, तथा पोरस ने अपने उस रक्षा सूत्र का मान रखते हुए अपनी बहनों के दिए गए वचन का सम्मान करते हुए उन वचनों को अदा किया उसी तरह हमें भी अपनी बहनों को दिए गए वचनों का अदा करना चाहिए।
अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई है तो इस पोस्ट को फेसबुक, Instagram और Pintrest पे share करें|
ऐसे ही रोजाना जानकारी पाने के लिए जुड़े रहे hindi.todaysera.com/ के साथ।