पुरानी कहानी | मूर्ख व्यक्ति की कहानी | Hindi Story

दोस्तो आज हम इस पोस्ट में मूर्ख व्यक्ति की कहानी के बारे में पढ़ेंगे |

मूर्ख व्यक्ति की कहानी (Murkh Vyakti Hindi Story) 

पुराने दिनों की बात है। एक गांव में एक बूढ़ी औरत और उसका मूर्ख बेटा रामू रहता था। एक रोज रामू को काम मिल जाता है वह घर आकर अपनी मां को बताता है कि मुझे काम मिल गया है मालिक ने कल से बुलाया है माँ उसे समझाती है कि काम के बदले जो भी मिलेगा उसे जेब में रख लेना। अगले दिन रामू काम पर जाता है। दिन भर काम करने के बाद शाम को मालिक उसे काम के बदले दूध देता है।

Purani kahani in Hindi

रामू दूध को अपनी जेब में रखकर भागता हुआ, अपनी माँ के पास आता है और कहता है कि माँ देखो मुझे क्या मिला है। रामू अपनी जेब में हाथ डालता है, पर उसका जेब खली होता है वह परेशान हो जाता है। उसकी मां पूछती है कि क्या मिला था। तो रामू बताता है कि मालिक ने काम के बदले दूध दिया था, और मैंने जेब में ही रखा था। अब मिल नहीं रहा। रामू की माँ हंसने लगती है, और कहती है। दूध जेब में नहीं कैन में रखा जाता है। कल से तुम कैन लेकर जाना।

दूसरे दिन रामू कैन लेकर जाता है, और दिन भर काम करता है। जब शाम होती है, तो उसका मालिक उसे काम के बदले एक बिल्ली दे देता है। अब मूर्ख रामू उस बिल्ली को कैन में बंद करके खुशी-खुशी भागता हुआ अपने घर अपनी मां के पास जाता है, और कहता है। माँ आज तो बहुत ही कीमती चीज मालिक ने दी है। तुम देखोगी तो खुश हो जाओगी। रामू कैन खोलता है और मरी हुई बिल्ली देखता है।

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रामू को समझ नहीं पाता और सोचता है कि बिल्ली जिंदा रखी थी मरी हुई मरी हुई कैसे निकली? उसकी माँ को बिल्ली के मरने का बहुत दुख होता है। वह रामू को फिर से समझाती है। रामू बिल्ली थी तो उसे रस्सी में बांध के ले आता, कैन में तो बिल्ली मर ही जाएगी। वह फिर से रामू को सलाह देती है कि कल से रस्सी लेकर जाना और जब बिल्ली मिले तो बांध के ले आना।

रामू तीसरे दिन रस्सी लेकर काम पर रवाना हो जाता है। तीसरे दिन उसे काम के बदले कटहल मिलती है। मूर्ख रामू कटहल रस्सी से बांध के घर के लिए निकल जाता है। घर पहुंचते ही माँ को आवाज लगाता है और कहता है कि देखो माँ मैं क्या लाया हूं। रामू और उसकी माँ देखते हैं, तो उस रस्सी के अलावा कुछ भी नहीं होता। रामू कटहल ढूंढने लगता है, तभी उसकी माँ पूछती है। तुझे क्या मिला था? रामू बताता है कि मुझे काम के बदले कटहल मिला था। मैं उस कटहल को रस्सी में बांधकर ला रहा था, पता नहीं कहां चली गई। इसपर माँ कहती है, कटहल रस्सी खुलने से रास्ते में ही रह गई होगी। कटहल को रस्सी में नही कांधे पर लेकर आता तो अच्छा होता।

चौथे दिन रामू अपने काम पर फिर से निकलता है। दिन भर मेहनत से काम करता है। उसका मालिक उसके काम से खुश होकर, उसे काम के बदले, एक गधा दे देता है। मूर्ख रामू उस गधे को अपने कंधे पर उठाकर घर की ओर चल देता है। रास्ते में एक महल पढ़ता है। उस महल के राजा की बेटी एकदम उदास और गुमसुम रहा करती है। राजा ने हर कोशिश करके देख ली, पर राजकुमारी के चेहरे पर हंसी नहीं ला पाया। राजा ने शर्त रखी कि जो राजकुमारी को हँसा देगा, उसके साथ राजकुमारी का विवाह कर दिया जाएगा। राजकुमारी को हंसाने के लिए कई लोग आते हैं, परंतु सब हार मान कर वापस चले जाते हैं।

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राजकुमारी अपने कमरे की खिड़की पर बैठी रहती है, और मूर्ख रामू को कंधे पर गधा उठा कर आते देखती है। रामू की मूर्खता देख कर राजकुमारी बहुत हँसती है, और ठीक हो जाती है। राजा यह देखकर बहुत खुश होता है, और रामू को महल बुलाता है, परंतु रामू कहता है पहले मैं अपनी माँ के पास जाऊंगा फिर कहीं और। यह बात सुनकर राजा उसकी माँ को भी महल में बुला लेता है साथ ही रामू को उपहार देकर राजकुमारी के साथ उसका विवाह कर देता है। रामू और उसकी माँ महल में ही रहकर अपना सुखी जीवन बिताने लगते हैं।

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