10 Lines on Devshayani Ekadashi in Hindi| देवशयनी एकादशी पर १० पंक्तियाँ हिंदी में
Devshayani Ekadashi, व्रत का जितना महत्व है उतना ही महत्व देवशयनी एकादशी व्रत कथा का भी है। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु पातल लोक में योग निद्रा अवस्था में चले जाते हैं, जिसके बाद पृथ्वीं पर हर शुभ काम बंद हो जाते है। भगवान विष्णु चार महीने के लिए निद्रा अवस्था में रहते हैं। जिसके बाद वह कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देवउठनी एकादशी पर जाग्रत होते है। जिसके बाद से एक बार फिर से पृथ्वीं लोक पर हर एक शूभ कार्यों का आरंभ कर दिया जाता है।
- शास्त्रों में व्रतों में अबसे प्रधान व्रत एकादशी को बताया गया है।
- आषाढ़ महीने में शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है।
- देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी’ और ‘पद्मा एकादशी के नाम से भी संबोधित करते हैं।
- इस दिन से भगवान विष्णु 4 माह के लिए पाताललोक चले जाते है, और सभी देवता सो जाते हैं।
- देवशयनी एकादशी के बाद आने वाले 4 माह तक कोई भी शुभ कार्य नही किया जाता है।
- कार्तिक मास में देवउठनी एकादशी पड़ती है, उसी दिन भगवान जागते हैं।
- ऐसी मान्यता है कि इन 4 माह में जितने अधिक से अधिक व्रत करेंगे उतना ज्यादा पुण्य मिलेगा।
- एक साल में कुल 24 एकादशी आती हैं। प्रत्येक मास में दो एकादशी आती है।
- देवशयनी एकादशी के दिन व्रत भी रखा जाता है। व्रत को पूरे विधि विधान के साथ करते हैं।
- यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है इसलिए उनकी पूजा करनी चाहिए।
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