10 Lines on Pradosh Vrat in Hindi | प्रदोष व्रत पर १० पंक्तियाँ हिंदी में
Pradosh Vrat शिव और पार्वती की पूजा के लिए एक हिंदू व्रत है। प्रदोष पूजा संध्या गोधूलि या संध्या काल दोनों चंद्र किलों की त्रयोदशी पर की जाती है। अमावस्या और पूर्णिमा से ये 13 वें तीथि या चंद्र दिन हैं। इस व्रत को रखने से सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है। इस व्रत को भगवान शिव की कृपा पाने के लिए किया जाता है। मान्यता है कि जो लोग त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत रखते हैं, भगवान शिव उनके जीवन के सभी तरह के दुखों को दूर करते हैं। इस दिन पूरे मन और विधि- विधान से भगवान शिव की पूजा करने पर भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं।
- Pradosh Vrat का संबंध भगवान शिव से है। यह व्रत हर माह के त्रियोदशी को पड़ता है।
- हर माह की त्रियोदशी को संध्या का समय प्रदोष काल कहलाता है।
- प्रदोष काल मे भगवान शिव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं।
- हर कोई प्रदोष व्रत रह सकता है और भगवान की कृपा पा सकता है।
- रविवार के दिन प्रदोष व्रत करने से शरीर निरोगी बनता है।
- सोमवार के दिन प्रदोष व्रत करने से मनोकामना पूरी होती है।
- शनिवार के दिन प्रदोष व्रत रखने से पुत्र की प्राप्ति होती है।
- Pradosh Vrat करने वाले व्यक्ति को पानी नही पिया जाता है।
- गुरुवार को प्रदोष व्रत करने से शत्रु का नाश हो जाता है। जबकि शुक्रवार को प्रदोष व्रत करने से सौभाग्य मिलता है।
- प्रदोष व्रत करने के लाभ और विधि सबसे पहले भगवान शिव ने सती माता को सुनाई थी।
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