बीएसएनएल का मालिक कौन है? बीएसएनएल यानी भारत संचार निगम लिमिटेड देश की अग्रणी टेलीकॉम कंपनियों में होती है. पहले यह एक सरकारी उपक्रम के तौर पर भी काम करती थी परन्तु बाद में यह एक फुल टाइम कंपनी की तरह काम करने लगी. वर्ष 2000 से भारत में टेलीकम्यूनिकेशन यानी दूरसंचार तकनीक क्रान्ति का उदय हुआ है. शुरुआत में केवल कुछ ही कंपनियों को टेलीकॉम सर्विस देने की अनुमति थी जिनमें बीएसएनएल भी शामिल थी लेकिन बहुत की काम लोगों को मालूम होगा कि इस कंपनी ने टेलीग्राफ से समय से ही अपनी सेवाएं देना शुरू कर दी थी.
आज जहाँ देश 5 जी की स्पीड की चर्चा करती दिखाई दे रही तो वहीँ देश में ब्रॉडबैंड इंटरनेट का तार बिछाने में बीएसएनएल का नाम ही सबसे आगे रहा है. आज हम आपको बताएँगे बीएसएनएल के बारे में, इसका मालिक कौन है और इसका इतिहास कैसा रहा है साथ इससे जुड़े कुछ अनुसने तथ्य.
बीएसएनएल का मालिक कौन है ? जाने विस्तार से
बीएसएनएल मूल रूप से एक सरकारी कंपनी है जिसका सीधा सा मतलब है कि इस पर मालिकाना हक़ भारत सरकार का ही है. यह एक दूरसंचार कंपनी है जो देश भर में अपनी मोबाइल और इंटरनेट सर्विसेज प्रदान करती है. इसकी स्थापना 13 सितम्बर साल 2000 में हुई थी. उस
यहाँ तक लद्दाख जैसे दूरस्त इलाको में भी केवल बीएसएनएल का इंटरनेट ही पहुँचता है. बीएसएनएल का मुख्या कार्यालय राजधानी नई दिल्ली में मौजूद है. मौजूदा समय में बीएसएनएल के चेयरमैन प्रवीण कुमार पुरवार है जो कि पहली भारीतय रेलवे बोर्ड के चेयरमैन भी रह चुके है.
इंटरनेट के अलावा बीएसएनएल द्वारा देश में इंटरनेट प्रोटोकॉल टीवी (IPTV) , ब्रॉडबैंड, टेलीविज़न एवं फिक्स्ड टेलीफोन लाइन सेविसेज़ प्रदान की जाती है. करोड़ो की संख्या में आज भी देश भर के ग्राहक बीएसएनएल की सर्विसेज़ का इस्तेमाल करते है. 2019 के आंकड़ों के अनुसार बीएसएनएल के 70,216 कर्मचारी थे जो कि संविदा और परमानेंट जॉब पर काम करते थे. इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि आज भी बीएसएनएल ही देश की सबसे बड़ी वायरलाइन टेलीकम्यूनिकेशन नेटवर्क है.
2019-20 वर्ष में बीएसएनएल का राजस्व करीब 19 हज़ार करोड़ था जबकि इसकी कुल आय ₹3,879.92 करोड़ थी. बीएसएनएल ही देश की सबसे पुरानी टेलीकॉम सेक्टर कंपनी है हालाँकि कंपनी समय के साथ टेक्नोलॉजिकल अपग्रडेशन में विफल रह गई और ऊपर से लाल फीताशाही ने उसे घाटे में डाल दिया हालाँकि मोदी सरकार में इसका व्ययापारिक प्रदर्शन शानदार रहा है और इसी वजह से अब इसमें सुधार होता दिख रहा है. देश में 1980 तक टेलीग्राफ का इस्तेमाल देश भर में समाप्त हो गया हालाँकि बीएसएनएल ने बाद में इसे साल 2013 में वेब मैनेजमेंट सिस्टम से बदल दिया.
आज बीएसएनएल का मज़ाक उड़ाते हुए उसे ‘भाई साहब नहीं लगेगा’ कहा जाता है क्योंकि जहाँ अन्य कंपनियां जैसी कि रिलायंस जियो ने सस्ते इंटरनेट की बदौलत अन्य कंपनियों को पछाड़ दिया है और अब जियो फाइबर आने के बाद बीएसएनएल की ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस को भी टक्कर मिलनी शुरू हो चुकी है. अभी बीएसएनएल अपने 4 जी अपग्रडेशन में लगी हुई है जबकि आने वाले समय में अपने इंटरनेट विस्तार को लेकर भी बीएसएनएल कंपनी भी लगातार कार्यत है. तो उम्मीद है कि आपको बीएसएनएल के बारे में काफी जानकारी मिल चुकी है और वास्तव में बीएसएनएल स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत का जीता जागता उदाहरण है और यदि इसको दुरुस्त कर दिया गया तो यह फिर से नम्बर एक टेलीकॉम कंपनी बन जाएगी.
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