प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi | प्रदूषण क्या है?

 प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi

Pollution, प्रदूषण प्राकृतिक वातावरण में प्रदूषण की शुरूआत है। जो प्रतिकूल परिवर्तन का कारण बनता है। प्रदूषण इस तरह के शोर, गर्मी या प्रकाश के रूप में रासायनिक पदार्थ या ऊर्जा, का रूप ले सकता है। प्रदूषक, प्रदूषण के घटक, या तो विदेशी पदार्थ / ऊर्जा हो सकते हैं या प्राकृतिक रूप से दूषित हो सकते हैं।

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10 Lines on Pollution in Hindi For Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9

आइए अब हम आपको बताते है कि पॉल्युशन क्यों होता है और हम इस से कैसे बच सकते है।

  • विज्ञान के इस युग में मानव को जहां कुछ वरदान मिले है, वहां कुछ अभिशाप भी मिले हैं। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप हैं जो विज्ञान की कोख में से जन्मा हैं और जिसे सहने के लिए अधिकांश जनता मजबूर हैं। 
  • Pollution का मतलब यह है की पर्यावरण संतुलित न होना और  न ही  शुद्ध हवा मिलना, न शुद्ध पानी  मिलना, न शुद्ध खाना मिल पाना , न शांत वातावरण मिल पाना।
  •  प्रदूषण 8 प्रकार के  होता है! प्रमुख प्रदूषण हैं – वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण, ध्वनि-प्रदूषण,भूमि प्रदूषण,ध्वनि प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण,ऊष्मीय प्रदूषण पाए जाते है।
  • जल-प्रदूषण : कल-कारखानों का दूषित जल नदी-नालों में मिलकर भयंकर जल-प्रदूषण पैदा करता है। बाढ़ के समय तो कारखानों का दुर्गंधित जल सब नाली-नालों में घुल मिल जाता है। इससे अनेक बीमारियां पैदा होती है। 
  •  इंसान  को रहने के लिए शांत वातावरण चाहिए होता है। लेकिन आजकल  काम मे हो रहे मशीनों के शोर, मोटर-गाड़ियों का शोर,लाउड स्पीकरों की कर्णभेदक ध्वनि ने बहरेपन और तनाव को बढ़ाया जा रहा है। 
  •  प्रदूषणों के कारण हमारे स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खुली हवा में लम्बी सांस लेने तक को तरस गया है आदमी। गंदे जल के कारण कई बीमारियां फसलों में चली जाती हैं जो मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक बीमारियां पैदा करती हैं।
  • भोपाल गैस कारखाने से रिसी गैस के कारण हजारों लोग मारे गए, कितने ही अपंग हो गए। पर्यावरण-प्रदूषण के कारण न समय पर वर्षा आती है, न सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक चलता है। सुखा, बाढ़, ओला आदि प्राकृतिक प्रकोपों का कारण भी प्रदूषण है। 
  •  प्रदूषण को बढ़ाने में कल-कारखाने, वैज्ञानिक साधनों का अधिक इस्तेमाल , फ्रिज, कूलर, वातानुकूलन, ऊर्जा संयंत्र आदि दोषी हैं। प्राकृतिक संतुलन का बिगड़ना भी मुख्य कारण है। वृक्षों को अंधा-धुंध काटने से मौसम का चक्र बिगड़ा है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होने से भी प्रदूषण बढ़ा है। 
  •   विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं, हरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली हो। कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिए।
  • महानगरों में यह प्रदूषण अधिक फैला है। वहां चौबीसों घंटे कल-कारखानों का धुआं, मोटर-वाहनों का काला धुआं इस तरह फैल गया है कि स्वस्थ वायु में सांस लेना दूभर हो गया है। मुंबई की महिलाएं धोए हुए वस्त्र छत से उतारने जाती है तो उन पर काले-काले कण जमे हुए पाती है।
  •  ये कण सांस के साथ मनुष्य के फेफड़ों में चले जाते हैं और असाध्य रोगों को जन्म देते हैं! यह समस्या वहां अधिक होती हैं जहां सघन आबादी होती है, वृक्षों का अभाव होता है और वातावरण तंग होता है। 
  • विभिन्न चीजें हवा को प्रदूषित करती हैं जैसे मोटर वाहन प्रज्वलन और उद्योगों से गैसीय रिलीज, हवा के अंदर जीवाश्म ईंधन जलाना, आदि ठोस औद्योगिक अपशिष्ट, तेल फैल, प्लास्टिक डंप, और पानी में फेंकने वाले शहर का कचरा नदी और महासागरों को प्रदूषित करता है। इसी तरह, कृषि की अकार्बनिक प्रक्रियाएं मिट्टी की उर्वरता को नष्ट कर देती हैं।
  • जैसा कि आप जानते हैं कि पानी पीने के लिए उपयोग किया जाता है, भोजन बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली मिट्टी, और साँस लेने के लिए हवा का उपयोग किया जाता है, ये तीनों दूषित तत्व मानव के शरीर के अंदर अपने प्रदूषकों को डालते हैं और परिणामस्वरूप रोग होते हैं।
  • पर्यावरण प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, अस्थमा, लंग कैंसर, स्किन कैंसर, लेड पॉइजनिंग, कार्डियोवस्कुलर डिजीज एंड स्ट्रोक, रेडिएशन इनेबल्ड कैंसर, मरकरी पॉइजनिंग, जन्मजात डिसएबिलिटी, एलर्जी, फेफड़े की बीमारियां हैं, जो ऑक्यूपेशनल एक्सपोजर के कारण होती हैं। कई विष और कई और अधिक। सूची एकजुट हो रही है।
  • यह बताना अनावश्यक है कि पर्यावरण प्रदूषण ने मानव की मूलभूत आवश्यकताओं, अर्थात, जल, भोजन, वायु और मिट्टी के अंदर अपने विषैले तंतुओं को फैला दिया है। यह हमारे रहने, पीने और खाने को प्रभावित करता है। यह इंसानों के साथ जानवरों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है 
  • औद्योगिक कचरा  विभिन्न उद्योगों से उत्पन्न अपशिष्ट जल, वायु और मृदा प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है।
  •  उद्योगों से निकलने वाला रासायनिक कचरा पानी को इस हद तक दूषित कर देता है कि ऐसे उदाहरण सामने आ गए हैं कि दुनिया के कुछ क्षेत्रों में लोग अपने आस-पास दूषित पानी की उपस्थिति के कारण विशिष्ट बीमारियों से पीड़ित हैं।
  • इसके अलावा, उद्योगों से निकलने वाले गंधक, नाइट्रोजन और कार्बन जैसे धुएँ या हानिकारक गैसें हवा के साथ मिल कर उसे दूषित कर देती हैं।
  •  वाहनों का उपयोग बड़े पैमाने पर हो गया है और पिछले एक दशक में बड़े पैमाने पर विकास हुआ है। यद्यपि वाहनों के उपयोग ने हमें बड़े पैमाने पर लाभ पहुंचाया है, लेकिन वाहनों के उत्सर्जन से वायु प्रदूषण में भारी वृद्धि हुई है।
  •  लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण, कृषि उत्पादों की मांग bhot hyada hi बढ़ गई है। इससे उत्पादकता बढ़ाने के लिए कीटनाशकों और रसायनों के बड़े पैमाने पर उपयोग को बढ़ावा मिला है। हालांकि, इस का पर्यावरण पर प्रभाव का अपना हिस्सा है। उदाहरण के लिए, भारत में पंजाब की कपास बेल्ट कपास उद्योग के लिए वरदान रही है, लेकिन साथ ही, इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को कीटनाशकों और रसायनों के बड़े उपयोग के कारण कैंसर के विभिन्न रूपों से पीड़ित पाया गया है।

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