दोस्तों क्या आपको पता है कि नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय कौन थे? | Who was the first Indian to get Nobel Prize, चलिए पढ़ते हैं इस पोस्ट में|
नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय कौन थे?:रवीन्द्रनाथ टैगोर
नोबेल पुरस्कार विश्व के सबसे बड़े पुरस्कारों में से एक है और इस पुरस्कार को पाने वाले पहले भारतीय श्री रवीन्द्रनाथ टैगोर जी थे।आज हम जिस भारतीय शख्सियत की बात यहां करने जा रहे है उन्होंने सिर्फ एक देश को ही नहीं बल्कि दो देशों को गौरवान्वित किया है।
जी हां सही सुना आपने एक नहीं बल्कि दो देशों को भारत और बांग्लादेश क्योंकि यह एक ऐसी शख्सियत है जिन्हें हमारा देश ही नहीं बल्कि और दूसरे देश भी बखुबी जानते है।रवीन्द्रनाथ टैगोर जी वह एक अकेले ऐसे व्यक्ति हैं जिनके द्वारा लिखित “जन गण मन” जो भारत देश का राष्ट्रगान है और “आमार सोनार बांग्ला” जो बांग्लादेश का राष्ट्रगान है।
किसी एक शब्द से रवीन्द्रनाथ टैगोर जी की शख्सियत को बता पाना बेहद मुश्किल है,क्योंकि वह एक महान कवि,चित्रकार,संगीतकार,नाटककार,निबंधकार,गीतकार,यह सब विशेषताएँ एक ही व्यक्तित्व में नीहीत थी।रवीन्द्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार उनके द्वारा लिखित “गीतांजलि” के कविता संग्रह के लिए साहित्य वर्ग में दिया गया था।
नोबेल पुरस्कार,नोबेल फाउंडेशन द्वारा स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में वर्ष 1901 से चिकित्सा विज्ञान,भौतिक विज्ञान,रसायन विज्ञान,अर्थशास्त्र और साहित्य के क्षेत्र में विशेष कार्य करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करने के लिए दिए जाने वाला विश्व का सर्वोत्तम पुरस्कार है।
नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले भारत के पहले भारतीय रवीन्द्रनाथ टैगोर जी का जन्म 7 मई 1861 को वर्तमान कोलकाता और इनके जन्म के समय के ब्रिटिश भारत में, वहां के सबसे प्रसिद्ध और समृद्ध परिवार के जोर सांको भवन में हुआ था। यह अपने माता पिता की तेहरवीं संतान थे।रवीन्द्रनाथ टैगोर जी को उनके साहित्य गीतांजलि के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
रवीन्द्रनाथ टैगोर जी को बाल्यकाल से ही कविताएं और कहानियां लिखने में रुचि थी। इन्होंने 8 वर्ष की अवस्था में अपनी पहली कहानी लिखी थी।1977 में मात्र 16 साल की आयु में उन्होंने अपनी पहली लघु कथा लिखी थी जो प्रकाशित हुई थी। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल में हुईl
इनके पिताजी इन्हें बैरिस्टर बनाना चाहते थे।इसके लिए उन्होंने इन्हें 1878 में लंदन में कानून की पढ़ाई करने के लिए भी भेजा, किन्तु रवीन्द्रनाथ टैगोर जी का मन साहित्य में ही लगा रहा और 1880 में कानून की पढ़ाई बीच में ही लंदन से छोड़कर, वे भारत आ गए।
Who was the first Indian to get Nobel Prize?: Ravindra Nath Tagore
यहाँ से उनके साहित्यिक जीवन की पूर्ण शुरुआत हुई।रवीन्द्रनाथ टैगोर जी द्वारा लिखित कहानियां जैसे क़ाबुलीवाला,पोस्टमास्टर,मास्टर साहब,तोता कहानी,स्वामी का पता,भिखारिन,अनाधिकार प्रवेश और कविताओं में गीतांजलि,चल तू अकेला,दिन अँधेरा-मेघ झरते आदि प्रमुख है इसके अतिरिक्त इन्होंने अनमोल वचन भी लिखें है। रवीन्द्रनाथ टैगोर जी की लिखित रचनाओं में स्वतंत्रता आंदोलन और उस समय के जीवन की छाटां देखने को मिलती है। टैगोर जी ने करीब 2230 गीतों की रचना की है।
रवीन्द्रनाथ टैगोर जी के पिता एक सामाजिक कार्यकर्ता थे,इसलिए रवीन्द्रनाथ टैगोर जी में भी यह गुण निहित था। इन्होंने 16 अक्टूबर 1905 को स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत की जो रक्षाबंधन को इनके नेतृत्व मे प्रारम्भ किया गया था और बंग-बंग आंदोलन के नाम से प्रसिद्ध था।इन्होंने 1919 के अमृतसर के जलियांवाला कांड की घोर निंदा की थी और अपने इस आक्रोश के कारण ही इन्होंने ब्रिटिशों द्वारा दी गई ‘नाइटहुड” की उपाधि को तत्काल वापिस कर दिया था।
नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय साथ ही पहले एशियाई व्यक्ति रवीन्द्रनाथ टैगोर जी की रचना ‘गीतांजलि’ लोगों को इतनी ज्यादा पसंद आई कि जर्मनी,अंग्रेजी,फ्रेंच,जापानी,रूसी आदि विश्व की सभी भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया।टैगोर जी का नाम दुनिया के कोने-कोने में फैल गया और टैगोर जी विश्व मंच पर स्थापित हो गए।
रवीन्द्रनाथ टैगोर जी को बाल्यकाल से ही प्रकृति से बेहद लगाव था और वह मानते थे कि विद्यार्थियों को सदैव प्रकृति के सानिध्य में ही अध्ययन कार्य करना चाहिए। अपने इस सपने को साकार करने के लिए 1901 में रवीन्द्रनाथ टैगोर जी सियालदह छोड़कर शांतिनिकेतन आ गए। प्रकृति के बीच एक पुस्तकालय स्थापित करके उन्होंने शान्ति निकेतन की आधारशिला रखी।
टैगोर जी को गुरुदेव भी कहा जाता है।अपने जीवन के अंतिम दिनों में उन्होंने चित्र बनाने आरम्भ किए थे।टैगोर जी और महात्मा गाँधीजी के बीच मानवता और राष्ट्रीयता को लेकर सदैव वैचारिक मतभेद रहे हैं।क्योंकि टैगोर जी मानवता को राष्ट्रवाद को अधिक महत्व देते थे।वहीं दूसरी ओर गाँधीजी राष्ट्रीयता को अधिक महत्व देते थे।
लेकिन टैगोर जी और महात्मा गाँधीजी दोनों ही एक दूसरे का पूरा सम्मान करते थे और गाँधीजी को महात्मा की उपाधि टैगोर जी ने ही दी थी।जीवन के अंतिम क्षणों में जब इनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा तब इन्हें शान्ति निकेतन से कोलकाता लाया जा रहा था, तब इनकी नातिन ने इनसे कहा,आपको पता है हमारे यहाँ नया पावर हाउस बनाया जा रहा है।तब इसके जवाब में टैगोर जी ने अपनी नातिन से कहा कि पुराना आलोक चला जाएगा और नए का आगमन होगा।
महान व्यक्तित्व वाले महापुरुष रवीन्द्रनाथ टैगोर जी ने 7 अगस्त 1941 को अंतिम सांस ली और एक स्वर्णिम युग का जैसे अन्त हो गया।टैगोर जी जैसा व्यक्तित्व हमारे भारतवर्ष में और विदेशों में सदैव स्मरणीय है और स्मरणीय रहेगा रवीन्द्रनाथ टैगोर जी को शत् शति नमन।
तो यह थी नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय कौन थे? | Who was the first Indian to get Nobel Prize रोचक जानकारी आशा है आपको यह जानकारी पर्याप्त लगी होगी।
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