स्वतंत्र भारत के पहले रेल मंत्री कौन थे? Who was First Railway Minister of Independent India

हेलो दोस्तो आज हम स्वतंत्र भारत के पहले रेल मंत्री के बारे में जानेंगे। अक्सर देखा जाता है ऐसे सवाल GK में काफी अधिक पूछे जाते है। यदि आपको नही पता है की स्वतंत्र भारत के पहले रेल मंत्री कौन थे तो हम आपको बता देते है की जॉन मथाई स्वतंत्र भारत के पहले रेल मंत्री थे। जॉन मथाई को भारत सरकार ने सन 1959 में पद्मविभूषण सेे सम्मानित किया था।

स्वतंत्र भारत के पहले रेल मंत्री कौन थे
John Mathai

वैसे भारत के पहले रेल मंत्री आसफ अली थे। लेकिन हम बात कर रहे है स्वतंत्र भारत के पहले रेल मंत्री के बारे में जो जॉन मथाई थे। ऐसे सवाल GK में पूछे जाते है जिससे छात्र भ्रमित हो जाते है और वह आसफ अली को ही स्वतंत्र भारत के पहले रेल मंत्री मान लेते है। तो चलिए जानते है की स्वतंत्र भारत के पहले रेल मंत्री जॉन मथाई के जीवन काल के बारे में।

स्वतंत्र भारत के पहले रेल मंत्री कौन थे?:जॉन मथाई

15 अगस्त 1947 के दिन देश आजाद होने के बाद जॉन मथाई स्वतंत्र भारत के पहले रेल मंत्री बने। जॉन मथाई राष्ट्रीय कांग्रेस दल पार्टी के सदस्य थे। इन्हें एक शिक्षाविद,अर्थशास्त्री और न्यायविद् के रूप में भी जाना जाता है।भारत देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु जी ने जॉन मथाई जी को अपनी सरकार में रेल मंत्री का दर्जा दिया।15 अगस्त 1947 से 22 सितंबर 1948 तक यह स्वतंत्र भारत के प्रथम रेल मंत्री पद पर आसीन रहे।

जॉन मथाई जी का जन्म 10 जनवरी 1886 ई॰ को त्रिवेंद्रम में हुआ था,जो पहले मद्रास में था और वर्तमान में केरल की राजधानी है।जॉन मथाई एक बहुत ही संपन्न परिवार से आते हैं। यह क्रिश्चियन( ईसाई) धर्म के है। इनकी प्रारंभिक शिक्षा त्रिवेंद्रम में ही हुई है।इन्होंने बी॰ए॰ और बी॰एल॰ की डिग्री मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से प्राप्त की थी। इसके बाद यह लंदन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी पढ़ने गए वहां से इन्होंने बी॰लीट॰ की डिग्री प्राप्त की।इसके पश्चात लंदन विश्वविद्यालय से इन्होंने डी॰एस॰सी॰ की डिग्री प्राप्त की।

यह भी पढ़ें   मर्सिडीज बेंज किस देश की कंपनी है? Mercedes-Benz Belongs To Which Country

अब हम शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत इनके जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालेंगे।अपने करियर के शुरुआती दिनों में उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट में वकालत शुरू की जहाँ ये 1910 से 1918 तक वकील के पद पर कार्यरत रहे।यहाँ से जाने के बाद यह मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे। यहाँ का इनका कार्यकाल 1920 से 1925 तक का रहा।

इसके साथ-साथ ही इन्होंने 1922 में मद्रास लेजिसलेटिव काउंसिल की सदस्यता प्राप्त की जहां ये 1925 तक नियुक्त रहे। फिर 1925 से 1931 तक इंडियन टैरिफ बोर्ड के भी सदस्य रहे।फिर इन्हें कमर्शियल इंटेलिजेंस तथा स्टैटिस्टिक्स के पद पर नियुक्त किया गया जहां इन्होंने 1935 से 10 जनवरी 1940 तक अपनी सेवाएं प्रदान की।

First railway minister of independent India:John Mathai

जान मथाई जी को टाटा संस लिमिटेड के निदेशक के पद के लिए चुना गया और इस पद पर ये 1944 से 1946 तक बने रहे।यहां से इनकी राजनीतिक जीवन की शुरुआत होती है।जहाँ राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने भारत देश की स्वतंत्रता प्राप्ति पर 15 अगस्त 1947 के दिन से जॉन मथाई जी को भारतीय रेल मंत्री का कार्यभार दिया,और इतिहास में जॉन मथाई जी को स्वतंत्र भारत के पहले रेल मंत्री के रूप में एक नई पहचान मिली।जिन्हें हम आज भी जानते हैं और याद करते हैं।

राजनीति से कोई बहुत ज्यादा लगाव तो नहीं रहा जॉन मथाई जी का, वह राजनीति में भी एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर ही आए थे।जिसमें उन्होंने देश की जनता की पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी के साथ सेवा की अपने अद्भुत कौशल का उपयोग उन्होंने इस देश की समृद्धता और खुशहाली को बनाए रखने के लिए सदैव किया। 22 सितंबर 1948 को रेल मंत्रालय का पदभार एन गोपालस्वामी अय्यगंर को दिया गया। 1948 से 1950 तक जॉन मथाई जी को वित्त मंत्रालय का पदभार दिया गया।

यह भी पढ़ें   स्विजरलैंड की राजधानी क्या है? | Switzerland ki Rajdhani

जॉन मथाई जी 1950 तक राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के वित्त मंत्री रहने के उपरांत इस पद से त्यागपत्र देकर वापस टाटा संस लिमिटेड के निदेशक पद पर ये पुनः नियुक्त हुए। यहां से उनका चयन जुलाई 1955 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के अध्यक्ष के पद रूप में हुआ और यहां ये इस पद पर सितंबर 1956 तक बने रहे।

यहां कार्यरत रहते-रहते ही इन्हें मुंबई विश्वविद्यालय का उपकुलपति चुन लिया गया। दोनों पदों पर वे समान सेवाएं देते रहे।तत्पश्चात 1958 में इन्हें केरल विश्वविद्यालय का उपकुलपति नियुक्त किया गया। न्याय,शिक्षा, अर्थशास्त्री,राजनीतिज्ञ इतने सारे क्षेत्रों में अपनी सेवाएं उन्होंने प्रदान की और भारत देश का मान बढ़ाया। अपनी असीम सेवाओं के योगदान के कारण ही इन्हें भारत सरकार द्वारा 1959 पद्मविभूषण के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

इन्होंने पुस्तकें भी लिखी, जिन पुस्तकों के नाम हैः एक्साइज एंड लिकर कंट्रोल, विलेज गवर्नमेंट इन ब्रिटिश इंडिया, एग्रीकल्चर कोऑपरेशन इन इंडिया।

न्याय,शिक्षा,राजनीति,अर्थशास्त्री,लेखक इन किरदारों द्वारा निभाए गए अपने हर रूप को उन्होंने हमेशा पूर्ण साक्षात् किया।अपने हर क्षेत्र में जॉन मथाई जी ने अपनी अभूतपूर्व सेवाएं प्रदान की। जॉन मथाई जी की मृत्यु सन 1959 को हुई थी।जॉन मथाई जी की मृत्यु के साथ ही हमने प्रभावशाली व्यक्तित्व को हमेशा के लिए खो दिया जो एक रूप होते हुए भी अनेक रूपों मैं अपनी सेवाओं से इस देश को कृतार्थ कर गए।

तो यह थे स्वतंत्र भारत के पहले रेल मंत्री जो हमारे लिए एक प्रेरणादायक महापुरुष थे। ऐसे ही हमें भी अपने देश के लिए अच्छा काम करना चाहिए जिससे की सभी को हम पे भी गर्व हो। तो आपने जाना की स्वतंत्र भारत के पहले रेल मंत्री कौन थे। यदि आपको यह लेख पसंद आयी हो तो हमें कमेंट कर के जरुर बताये।

यह भी पढ़ें   फ्लिपकार्ट प्लस कॉइन | Flipkart Plus Coin Kya Hai in Hindi

हमारे इस पोस्ट को पढने के लिए हम आपका आभार व्यक्त करते है। इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगो को facebook, whatsapp जैसे सोशल मीडिया पर जरुर शेयर करे। जिससे की सभी लोगो को स्वतंत्र भारत के पहले रेल मंत्री के बारे में जानकारी मिल सके। ऐसे ही रोजाना जानकारी पाने के लिए जुडे रहे hindi.todaysera.com के साथ।

error: Content is protected !!