बैक्टीरिया की खोज किसने और कब की थी। Discovery of Bacteria in Hindi

Discovery of Bacteria in Hindi | बेक्टीरिया की खोज हिंदी में

Bacteria, एंटोनी वानलुइवीनहोएक ने एक कोशिका वाले “ प्रोटोजोआ” नामक जीवाणु या बैक्टीरिया की खोज की थी, और उन्होंने इन जंतुओं को अनिमुकुलस नाम दिया था।

Bacteria बहुत ही छोटा जीव है इन्हें सूक्ष्मजीव भी कहते हैं । यह इतने छोटे होते हैं कि इन्हें हम नग्न आंखों से नहीं देख सकते  इसके लिए हमें माइक्रोस्कोप का प्रयोग करना पड़ता है। बैक्टीरिया शब्द ग्रीक शब्द “bacteria”  से निकला है, जिसका अर्थ “लिटिल स्टिक” (छोटी छड़ी) है।

यह एक सूक्ष्म एक कोशिकीय जीवाणु है ।यह  जीवाणु मानव शरीर के बाहर और अंदर  लाखो की संख्या में हर तरह के पर्यावरण में मौजूद होते हैं। जीवाणु एक कोशकीय जीव हैं जो सभी जगहों पर  पाये जाते हैं। ये पृथ्वी पर मिट्टी, अम्लीय गर्म जल-धाराओं ,नाभिकीय पदार्थों,जल आदि में मिलती हैं।यहां तक की कार्बनिक पदार्थों में तथा पौधौं एवं जन्तुओं के शरीर के भीतर भी जीवाणु पाये जाते हैं। शरीर में जितनी मानव कोशिकाएं हैं उसकी लगभग 10 गुना संख्या मानव शरीर के अंदर जीवाणु कोष  की   हैं। जीवाणु आहार -नाल और स्वास त्वचा में पाए जाते हैं

एंटोनी वानलुइवीनहोएक का जन्म 14 अक्टूबर 1632 को डेल्फ्ट नाम के नीदरलैंड के एक शहर में हुआ था।

हानिकारक जीवाणु इम्यून तंत्र के रक्षक प्रभाव के कारण शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा पाते।  कुछ जीवाणु लाभदायक भी होते हैं। अनेक प्रकार के परजीवी जीवाणु कई रोग उत्पन्न करते हैं, जैसे – हैजा, मियादी बुखार, निमोनिया आदि।

मानव शरीर बैक्टीरिया से भरा है। और वास्तव मे   तो    हमारे शरीर में मानव कोशिकाओं से भी अधिक जीवाणु कोशिकाएं पायी जाती हैं। शरीर में पाए जाने वाले अधिकांश बैक्टीरिया तो अच्छे होते हैं और कुछ तो सहायक होते हैं।

यह भी पढ़ें   भारत के रक्षा मंत्री कौन है? (Bharat Ke Raksha Mantri Kaun Hai In Hindi)

Discovery of Bacteria in Hindi bacteria-ki-khoj-kisne-ki

पारंपरिक रूप से जीवाणु शब्द का प्रयोग सभी सजीवों के लिए होता था, परंतु यह वैज्ञानिक वर्गीकरण  में हुई एक खोज के बाद यह  बदल दिया गया उसमे पता चला कि प्रोकैरियोटिक सजीव वास्तव में दो भिन्न समूह के जीवों से बने हैं जिनका क्रम विकास एक ही पूर्वज से हुआ। इन दो प्रकार के जीवों को जीवाणु एवं आर्किया कहा जाता है।

एक इंसान के मुंह में जीवाणुओं की संख्या धरती पर मौजूद जितने भी इंसान हैं उनके बराबर होती है ।ताजे पानी के एक मिली लीटर में आमतौर पर लगभग दस लाख जीवाणु कोशिकाएं होती हैं। धरती में कम से कम 5 नोनिलियन (5 के बाद 54 बार शून्य लगाने पर बनने वाली संख्या) बैक्टीरिया होने का अनुमान  माना जाता है ।

डीएनए अनुक्रमण तकनीक के आविष्कार से पहले, बैक्टीरिया को मुख्य रूप से उनके आकार के आधार पर ही वर्गीकृत किया गया था। आजकल, मॉर्फोलॉजी के साथ, बैक्टीरिया को वर्गीकृत करने के लिए डीएनए अनुक्रमण का भी उपयोग किया जाता है।

जीवाणुओ को हमेशा बुरा समझा जाता है, लेकिन बहुत से बैक्टीरिया अच्छे ओर सहायक भी होते हैं।सच बात तो ये है कि, हमारा शरीर अनुमानित तौर पर सौ ट्रिलियन “अच्छे” जीवाणुओ  का घर हैं, जिनमें से कई हमारी आंत में रहते हैं। न केवल हम इन फायदेमंद जीवाणुओं के साथ सामंजस्य से रहते हैं, बल्कि वे वास्तव में हमारे अस्तित्व के लिए बहुत ही जरूरी  हैं।

शरीर में कई बैक्टीरिया मानव अस्तित्व में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पाचन तंत्र में Bacteria, जटिल शर्करा जैसे पोषक तत्वों को इस तरह से तोड़ देते हैं, जिस तरीके से शरीर उपयोग कर सकें।

यह भी पढ़ें   फिलीपींस की राजधानी क्या है? Capital Of Philippines In Hindi

शरीर में कई बैक्टीरिया मानव अस्तित्व में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पाचन.  तंत्र  में बैक्टीरिया, जटिल शर्करा जैसे पोषक तत्वों को इस तरह से तोड़ देते हैं, जिस तरीके से शरीर उपयोग कर सकें। गैर-खतरनाक जीवाणु पैथोजेनिक जीवाणु से रोगों को रोकने में भी मदद करते हैं। ये शरीर में रोग पैदा करने वाले, बैक्टीरिया की जगह ले लेते हैं। कुछ जीवाणु पैथोजन पर हमला करके भी हमें बीमारी से बचाते हैं।

बैक्टीरिया पृथ्वी पर पहला जीवित जीव माना गया है। ये लगभग पृथ्वी पर 3 अरब साल से जीवित जीवाणु हैं। प्रकृति में सबसे छोटी आंखें बैक्टीरिया की होती है परंतु इनके शरीर के आकार के हिसाब से इनकी आंखें बड़ी होती है हमारे शरीर में जीवाणुओं का कुल वजन 1.8 किलो होता है। और पेट में लगभग 1000 तरह के जीवाणु पाए जाते हैं।

 

ऐसे ही और जानकारी के लिए हमारी Hindi Website से जुड़े रहिये।

error: Content is protected !!