बीरबल का जीवन परिचय – Biography of Birbal in Hindi Jivani

बीरबल एक इतिहास के महँ विद्वानों में से एक थे, इनकी बुद्धि अपार थी| बीरबल बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक थे, जिसमे वह सबसे प्रमुख थे| बीरबल का वास्तविक नाम महेशदस था| उनका जन्म सन् १५२८ में मध्य प्रदेश के सीधी जिले में हुआ था|

5 sentences about birbal in hindi

बीरबल की पत्नी का नाम

बीरबल की पत्नी का नाम उर्वशी देवी था जिनसे उन्हें एक पुत्री हुयी थी जिसका नाम सौदामिनी था| बीरबल एक गरीब हिन्दू ब्राह्मण परिवार से थे|

बीरबल के पिता का नाम गंगा दस तथा माता का नाम अनाभा दावितो था| बीरबल संस्कृत, हिंदी और पर्शियन में बहुत ही शिक्षित थे, और एक कवी भी थे| उन्होंने ने ब्रज भाषा में कई कवितायेँ भी लिखी है| बीरबल साहित्यकार भी थे, जिनका साहित्य समाझ में अहम् योगदान आज भी माना जाता है| बीरबल ने ब्रह्मा कवी के नाम से मध्य प्रदेश के रीवा में राजा राम चंद्र के राजपूत दरबार में काम किया|

बीरबल का इतिहास / Birbal History In Hindi

बादशाह अकबर पढ़े लिखे नहीं थे, क्यों की वह किशोर अवस्था से ही राजा बना दिए गए थे उनके पिता के अकस्मक देहांत के बाद, पर वह समझदारो की बहुत क़द्र किया करते थे और उन्हें परखने में सबसे तेज़्ज़ थे, इस लिए उन्हें बीरबल जैसे व्यक्ति को अपने सबसे करीब रखा| आज के समय टेलीविज़न के माध्यम से अकबर और बीरबल की कथायें तथा कहानियां दिखाई जाती है, जिससे हर उम्र के लोगों को सिखने को मिलता है| अकबर बीरबल के वजीर ही नहीं बल्कि सबसे करीबी मित्र थे, अकबर अपने हर प्रशनो के उत्तर के लिए बीरबल से पूछा करते थे, यहाँ तक न्याय फैसले सुनाने के लिए भी उनसे राय विमर्श किये बिना कोई फैसला नहीं देते थे| बहुत कम जानते है की बीरबल को बीरबल नाम अकबर ने ही दिया था, उन्होंने ने कहा था की महेशदास के दिमाग यानि बीर में बल यानि ताकत है , इसलिए महेशदास को  बीरबल का नाम अताह किया था|

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बीरबल एक बहुत ही समझदार और सुलझे हुए व्यक्ति थे| बीरबल हमेशा गरीबो की मदत किया करते थे | बीरबल बादशाह अकबर के वज़ीर थे| इतिहास में बीरबल जैसे व्यक्ति बहुत कम हुए है| आज भारत ही नहीं अन्य देशो में भी बीरबल को बड़े से लेकर छोटे उम्र के सभी लोग जानते है| अकबर-बीरबल की नज़दीकी से उनके दरबार में कई लोगों को इर्षा और जलन होती थी| अकबर द्वारा बनाया गया धर्म दीने इलाही अकबर के बाद बीरबल ने माना था | वह अकबर के महल के पास एक विशेष स्थान पाने वाले  एकमात्र दरबारी थे। एक बहु प्रसिद्ध घटना को लोकोक्ति के रूप हर इंसान अवश्य बोलता रहता है जब भोजन पकने में विलंभ होता है, तब आदमी अक्सर कहता है ” बीरबल की खिचड़ी ” बन रही है क्या |

बीरबल ने अकबर के साथ ३० वर्ष तक उनके कार्यो में योग दान दिया | बीरबल की मृत्यु अफगानियों द्वारा छल से रात्रि में आक्रमण से हुई थी, अफगान के बाजार में कुछ लोग लोगों को लूट रहे थे, उनसे जबरन वसूली कर रहे थे , tab बादशाह अकबर ने अफगानियों से युद्ध के लिए अपने बहुत ख़ास ज़ैन खान कोका को भेजा जो की उन अफगानियों की रणनीति को नहीं जानते थे जिस कारन उनकी सेना को काफी शती हुई, फिर ज़ैन खान कोका ने बादशाह अकबर को कहा की युद्ध जीत गए है बस थोड़ी सहायता चाहिए, तब अकबर ने सोचा विजय का परचम यदि बीरबल के हिस्से में आया तोह और भी अच्छा होगा तोह उन्होंने बीरबल को सहता देने के लिए भेजा|

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बीरबल की सेना पहाड़ों में चिप कर युद्ध कर रहे अफगानियों की सेना पर भारी पड़ी, युद्ध करते करते अँधेरा हो गया तब युद्ध रुक गया, जिसके बाद बुरबल युद्ध की नीति बना रहे थे अगले दिन के लिए, उसी समय अकबर ने हाकिमअबुल फ़तेह को भी कुछ सेना के साथ भेज दिया| ज़ैन खान, बीरबल और अब्दुल फ़तेह में कभी नहीं बनती थी | बीरबल की रणनीति को उन दोनों ने नहीं माना और तीनो अपने अपने रस्ते से युद्ध के लिए चल दिए| बीरबल अगले दिन आक्रमण के लिए ३-४ कोस का सफर तय कर रात को रुक गए|

बीरबल जहाँ अपनी सेना को लेकर रुके थे वहीँ उनके दुश्मन घात लगाए बैठे थे और रात में अफगान की सेना ने उन्हें घेर लिया और उनपर पत्थर और तीर बरसाने शुरू कर दिए थे जिससे सेना और जानवरों में भगदड़ मच गयी जिससे कई सैनिको को मृत्य हो गयी सिर्फ भगदड़ के कारण| बीरबल ने इससे बचने की कोशिश की परन्तु उन्हें एक अफगानी तीर लग गया और कोई साहत्य न मिलने के कारण उनकी मृत्यु हो गयी|

उस समय बीरबल की उम्र ५८ वर्ष थी| अकबर का शरीर शरीर तब तक क्षत-विक्षत था, जब तक बीरबल का  शरीर हिंदू दाह संस्कार के लिए नहीं मिला था। दो दिन तक अकबर ने कुछ खाया पिया नहीं था इस दुखद सुचना पाने के बाद बीरबल के जाने के बाद अकबर गुम सुम से हो गए थे, उन्होंने घोषणा की थी की बीरबल का जाना उनके जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी है|  बीरबल एक आदर्श है जिन्हे मानव जाती कभी नहीं बुला सकती|

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