दादी मां की कहानियां हिंदी में | Dadima Ki Kahaniyan in Hindi

दोस्तो आज हम इस पोस्ट में दादी मां की कहानियां (Dadima Ki Kahaniyan) के बारे में पढ़ेंगे |

दादी मां की कहानियां (Dadima Ki Kahaniyan in Hindi)

दादी मां की कहानियां

दादी मां के लालची व्यापारी

एक गांव में एक व्यापारी लाल बहादुर रहा करता था। वह बहुत लालची था। उसके पास जितना धन और जानवर थे या जो कुछ भी था। वह उससे संतुष्ट नहीं रहता था। दिन-ब-दिन वह यही सोचता रहता कि थोड़ा और होता तो अच्छा रहता।

फलों का व्यापार हो या मुर्गी, भैंस, बकरी, खेत हो सब में उसे थोड़ा और चाहिए होता। इसी तरह थोड़ा और थोड़ा और के चक्कर में वह अपना चैन सुकून को बैठा था। दिन-रात इसी चिंता में रहने लगा था। इस चिंता के कारण वह चिड़चिड़ा रहने लगा था। वह अपने परिवार वालों पर भी अपना गुस्सा उतार देता था।

एक दिन वह व्यापारी एक रास्ते से गुजरा तो उसने एक ऐसे परिवार को देखा जिनके पास कुछ नहीं था। वह बिल्कुल गरीब थे, परंतु वह अपनी छोटी सी दुनिया में बहुत खुश थे। उस परिवार में एक व्यक्ति था जिसका नाम रामू था।

रामू की पत्नी और एक बच्चा था। कहने को तो उनके पास कुछ भी नहीं था, परंतु उनके पास दुनिया भर की खुशियां थी। वह गाते बजाते खुशी-खुशी अपना हर दिन बिताते थे।

इस परिवार की खुशियां देख के व्यापारी लाल बहादुर सोचता है कि इनके पास तो कुछ भी नहीं है तो भी यह कितने सुखचैन से रहते हैं, और मेरे पास दुनिया की दौलत भरी पड़ी है तब भी मैं सुख से नहीं हूं। तभी वह सोचता है क्यों ना इस परिवार का इंतिहान लिया जाए? अगले दिन व्यापारी उस परिवार के घर के बाहर एक सोने से भरी पोठली रखकर छुप जाता है और उस परिवार पर नजर रखने लगता है।

यह भी पढ़ें   हॉरर नावेल | Horror Novels In Hindi

रामू जैसे घर से बाहर निकलता है, वह पोठली देखता है और उसे खोलता है पोठली में सोना देखते ही वह अपनी पत्नी और बच्चे को बुलाता है। सब बहुत खुश हो जाते हैं और सोचते हैं कि अब हम अच्छा जीवन गुजारेंगे।

रामू उस सोने को बेच के उन पैसों से खेती करने लगता है। धीरे-धीरे करके अपना व्यापार बढ़ा लेता है। कुछ समय तो सब ठीक चलता है, परंतु बाद में रामू के मन में भी लालच आ जाता है। वह भी सोचने लगता है कि थोड़ा और होता तो अच्छा होता। थोड़ा और थोड़ा और के चक्कर में रामू भी चिड़चिड़ा सा हो जाता है। वह अपने परिवार से बुरा व्यवहार करने लगता है।

एक दिन तो वह अपने बच्चे जिसको वह बहुत प्रेम करता था, उस पर हाथ उठा देता है। हाथ उठाने के बाद रामू बहुत ही उदास हो जाता है और एक कोने में बैठकर सोचने लगता है कि ऐसा क्यों हो रहा है? लाल बहादुर यह सब छुप छुप कर देखता रहता है। उसे रामू की स्थिति पर तरस आ जाता है और वह रामू के पास जाकर उसके सवालों का जवाब देता है कि किस तरह उसने रामू के घर के बाहर सोना रखा था।

यह देखने के लिए कि पैसा होने पर भी क्या राम का परिवार उतना ही सुखी होगा, जितना कि गरीबी में था। वह रामू को समझाता है और बताता है कि किस प्रकार लाल बहादुर भी लालच में पड़कर अपना सुख को बैठा था। वह कहता है कि लालच बहुत बुरी चीज है जितना है उसी में हमें खुश रहना चाहिए। ज्यादा की लालसा में हम अपना सुख चैन खो बैठते हैं।

यह भी पढ़ें   मित्र वही जो मुसीबत में काम आए पर कहानी- Sacha Mitra Story in Hindi

रामू लाल बहादुर की बात से सहमत रहता है और वह लाल बहादुर की सारी दौलत लौटा देता है। वह फिर से अपने परिवार के साथ हंसी-खुशी रहने लगता है। इधर लाल बहादुर भी अब लालच छोड़ कर सुखी जीवन व्यतीत करने लगता है।

तो बच्चों आपके पास जितना है उतने में ही खुश रहना सीखो ज्यादा की लालच में हम अपना सुकून को बैठते हैं। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो शेयर करना ना भूलें। आपके मन में कोई भी सवाल हो तो हमें कमेंट करके पूछ सकते हैं।

आज की पोस्ट के माध्यम से आपने दादी मां के (Dadima Ki Kahaniyan)बारे में जाना । आशा करते है की आपने इस कहानि के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की होगी।

अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई है तो इस पोस्ट को फेसबुक, Instagram और Pintrest पे share करें|

ऐसे ही रोजाना जानकारी पाने के लिए जुड़े रहे hindi.todaysera.com/ के साथ।

error: Content is protected !!