Mahatma Gandhi in Hindi | महात्मा गांधी की जीवन कथा
Mahatma Gandhi, मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक जो अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बने।
लोगो के जीवन को सुधारने के लिए गांधी जी द्वारा एक अभियान की शुरूआत हुई। गांधी जी ने अपना जीवन सत्य एवं सच्चाई की खोज में समर्पित कर दिया।
आइए अब हम आपको बताते है कि गांधी जी का जीवन कितना ही संघर्ष से भरा हुआ था।
- महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी था।
- Mahatma Gandhi को ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेता और ‘राष्ट्रपिता’ माना जाता है।
- उनके पिता करमचन्द गांधी ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत (पोरबंदर) के दीवान थे।
- गांधी जी का परिवार- गांधी की मां पुतलीबाई बहुत ज्यादा ही धार्मिक थीं। और उनका समय पूरे दिन पूजा और घर के कामो में लगी रहती थी।
- गांधी जी का परिवार- गांधी की मां पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक थीं।
- मई 1883 में गांधी जी की शादी कस्तूरबा से हुई थी।
- इनके चार पुत्र हरीलाल गांधी, मणिलाल गांधी, रामदास गांधी और देवदास गांधी 1900 थे।
- 4 सितम्बर 1888 को गांधी यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कानून की पढ़ाई करने और बैरिस्टर बनने के लिये इंग्लैंड चले गए।
- इंग्लैंड और वेल्स बार एसोसिएशन के वापस बुला वे पर वे भारत लौट आए लेकिन बम्बई में वकालत करने में उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली।
- बाद में एक हाई स्कूल शिक्षक के रूप में नौकरी का प्रार्थना पत्र अस्वीकार कर दिए जाने पर उन्होंने जरूरतमंदो के लिए मुकदमे की अर्जियां लिखने का काम शुरू किया लेकिन वहां पर उनका मन नहीं लगा।
- सन् 1893 में एक भारतीय फर्म से नेटल (दक्षिण अफ्रीका) में एक वर्ष के करार पर वकालत का कार्य स्वीकार कर लिया।
- असहयोग आन्दोलन
- गांधी जी का मानना था की भारत में अंग्रेजी हुकुमत भारतियों के सहयोग से ही संभव हो पाई थी और अगर हम सब मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ हर बात पर असहयोग करें तो आजादी संभव है।
- गाँधी जी की बढ़ती लोकप्रियता ने उन्हें कांग्रेस का सबसे बड़ा नेता बना दिया था और अब वह इस स्थिति में थे कि अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग, अहिंसा तथा शांतिपूर्ण प्रतिकार जैसे अस्त्रों का प्रयोग कर सकें।
- गांधी जी ने स्वदेशी नीति का अहान किया जिसमें विदेशी वस्तुओं विशेषकर अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करना था। उनका कहना था कि सभी भारतीय अंग्रेजों द्वारा बनाए वस्त्रों की जगह हमारे अपने लोगों द्वारा हाथ से बनाई गई खादी पहनें। उन्होंने पुरूषों और महिलाओं को प्रतिदिन सूट काटने के लिए कहा।
- 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की भागदौड़ संभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण और आत्मनिर्भरता के लिए कई कार्यक्रम चलाए।
- गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाके गए नमक कर के विरोध में 1930 में नमक सत्याग्रह और इसके बाद 1942 में अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन से वो पूरी राष्ट्र के आवाज बन गए थे।
- दूसरे विश्व युद्ध के शुरुआत में गांधी जी अंग्रेजों को अहिंसात्मक नैतिक सहयोग देने के पक्षधर थे परन्तु कांग्रेस के बहुत से नेता इस बात से खुश नहीं थे कि जनता के प्रतिनिधियों के परामर्श लिए बिना ही सरकार ने देश को युद्ध में झोंक दिया था। गांधी ने घोषणा की कि एक तरफ भारत को आज़ादी देने से इंकार किया जा रहा था।
- दूसरी तरफ लोकतांत्रिक शक्तियों की जीत के लिए भारत को युद्ध में शामिल किया जा रहा था। जैसे-जैसे युद्ध बढ़ता गया गांधी जी और कांग्रेस ने ‘भारत छोड़ो” आन्दोलन की मांग को और तेजी से कर दिया।
- गांधी जी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह ब्रिटिश युद्ध प्रयासों को समर्थन तब तक नहीं देंगे जब तक भारत को आज़ादी न दे दी जाए। इस दौरान कई बार उन्हें लाठियां खानी पड़ीं, उनके साथियों को जेल में रहना पड़ा लेकिन गांधी ने हार नहीं मानी।
- भारत की आज़ादी के आंदोलन के साथ-साथ, मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में एक ‘अलग मुसलमान बाहुल्य देश’ (पाकिस्तान) की भी मांग तीव्र हो गयी थी और 40 के दशक में इन ताकतों ने एक अलग राष्ट्र ‘पाकिस्तान’ की मांग को वास्तविकता में बदल दिया था। गांधी जी देश का बंटवारा नहीं चाहते थे क्योंकि यह उनके धार्मिक एकता के सिद्धांत से बिलकुल अलग था पर ऐसा हो न पाया और अंग्रेजों ने देश को दो टुकड़ों – भारत और पाकिस्तान – में विभाजित कर दिया।
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