राहुल गाँधी जीवन परिचय | Rahul Gandhi Biography in hindi
जहां भी कभी राजनीती की बात हुई करती है वहां राहुल गाँधी का नाम स्वंयं ही जुड़ जाता है|राहुल गाँधी का नाता बहुत पूरनतम राजनेताओं से जुड़ा हुआ है| जिस परिवार से राहुल गाँधी जुड़े हुए है उनका देश के राजनेताओं में एक अलग ही पहचान अपनी मुठी में रखता है| अपने पूर्वजो से चलती आ रही इस राजनितिक विद्या की दारोहर को यक़ीनन राहुल गाँधी ने संजो कर रखा है जोकी उनकी प्रतिभा का एक अलग ही स्वरुप को प्रस्तुत करता है| राहुल गाँधी नेहरू – गाँधी परिवार से तालुकात रखते है और उसी परिवार की दारोहर को संभाल रहे हैं|
राहुल गांधी के जीवन के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी संक्षिप्त में
नेहरू – गाँधी परिवार का योगदान इस देश के लिए हमेशा तत्पर रहा है और इस बात में कोई भी दो राय नहीं है| चाहे वो देश को स्वतंत्र कराना हो या उसको आगे बढ़ने में अपने में अपना पूरा योगदान देना हो| जवाहर लाल नेहरू के वंशज राहुल गाँधी का जन्म जून 19, 1970 को देश की राजधानी दिल्ली में हुआ था|
राहुल गांधी के पिता | राजीव गांधी |
राहुल गांधी की माता | सोनिया गांधी |
राहुल गांधी के दादा | फिरोज गांधी |
राहुल गांधी की दादी | इंदिरा गांधी |
दादी के पिता | पंडित जवाहरलाल नेहरू |
दादी की माताजी | कमला नेहरू |
राहुल गांधी के चाचा | संजय गांधी |
राहुल गांधी की चाची | मेनका गांधी |
राहुल गांधी की बहन | प्रियंका गांधी |
राहुल गांधी के भाई | वरुण गांधी |
राहुल गांधी के बहनोई | रोबर्ट वाड्रा |
राहुल गांधी की भतीजी | मिराया |
भतीजा | रैहान |
राहुल गाँधी राजीव गाँधी जोकि देश के प्रधान मंत्री रह चुके है तथा सोनिआ गाँधी जोकि भारतीय राष्ट्रय कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकी है – की संतान है| राहुल गाँधी अपने परिवार की पहली संतान है तथा उनकी एक बहन भी ही प्रियंका गाँधी जोकि अपने परिवार की राजनितिक दारोहर को अपने भाई के समान संजों कर रखी हुई है|ऐसा लगता है राजनितिक विद्या इस परिवार में चलती ही आरही है और ये यक़ीनन आगे तक चलती ही रहे गी|
ऐसे परिवार का हिस्सा होना यकीं बहुत ही गर्वमयी होता होगा राहुल गाँधी के लिए| राहुल गाँधी ने अपनी शिक्षा दिल्ली के सत कोलम्बा स्कूल से शुरू की थी बाद में उन्होंने ने अपनी पढाई देहरादून दून स्कूल सी जारी रखी है| सिख चरमपंथियों के दौरान राहुल गाँधी तथा इनकी बहन प्रियंका गाँधी को हॉस्टल में भेज दिया गया था क्यूंकि उस समय उनका परिवार इन सब चीज़ों से घिरा हुआ था और वः नहीं चाहते थे की किसी भी कीमत पर राहुल गाँधी की शिक्षा तथा जीवन में किसी भी प्रकार की कठिनाई तथा रूकावट आये|
राहुल गांधी की शिक्षा (Education) –
स्कूली शिक्षा के बाद भी राजीव गाँधी ने पड़ना नहीं छोड़ा, इन्होने कहीं स्तरीय उच्च शिक्षा प्राप्त की है| शुरू में राहुल गाँधी ने दिल्ली के सत स्टेफेन कॉलेज से अपनी उच्च शिक्षा शुरू की उसके बाद वह हारवरद यूनिवर्सिटी में आगे की पढाई करने चले गए|
१९९१ में जब रैली के दौरान तमिल तेंदुओं ने उनके पिता राजीव गाँधी की हत्या करदी जोकि भारत के लिए एक बहुत ही दिल को घात देने वाली खबर थी, तब वे फ्लोरिडा के रोल्लिंस कॉलेज में अपनी आगे की शिक्षा पूरी करने के लिए चले गए, वहां से उन्होंने ने अपनी बी. ए. की शिक्षा पूरी की और उसके बाद १९९५ में म. फील की पढाई करने के लिए राहुल ने कैंब्रिज के रोल्लिंस कॉलेज में दाखिला ले लिया|
करियर (Career) –
अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद तथा इतने उतर चढाव देखने के बाद राहुल गाँधी ने लंदन की एक कंपनी मॉनिटर ग्रुप में काम करना शुरू कर दिया|
राहुल गांधी का राजनीतिक करियर (Political Career )-
राजनीती में आने से पहले इन्होने अपने आप को हर तरीके से परिपूर्ण बनाया चाहे वो शिक्षा हो नौकरी हो या घर की पिता बाद की जिम्मेवारी, इन्होने अपने आप हर तरीके से तैयार किया है तथा परखा है| राजनीती में उतरने से पहले क्या राहुल गाँधी सच में राजनीती में आने चाहते थे इस प्रश्न का उतर उन्होंने कभी नहीं दिया है|
राहुल गांधी द्वारा जीते गए चुनाव–
२००४ में राहुल गाँधी ने लोक सभा में उत्तर प्रदेश, अमेठी की सीट के लिए खड़े होते हुए बिगुल बजाकर अपने राजनीती में प्रवेश करने की घोषणा करदी| अमेठी की सीट के लिए खड़े होना कुछ भिन्न न होते हुए भी था| उस समय कांग्रेस का रुख उत्तर प्रदेश कुछ ख़ास नहीं था बल्कि ये कहा जा सकती है सोचे हुए स्तर से कम ही था| उस समय में गाँधी का इलेक्शन में खड़े होने का निर्णय अच्छा साबित हुआ हलाकि उस समय ये मन जा रहा था की राहुल की बहन प्रियंका गाँधी उस सीट के लिए खड़ी होंगी परन्तु राहुल के बारे में ऐसा कोई अनुमान नहीं लगाया गया था|
एक इंटरव्यू के दौरान अपने आप को देश को जोड़ कर रखने वाला इंसान घोषित किया था| उन्होंने ये भी खा था की वह देश में बढ़ते हुए जाती धर्म के भेद भाव को रोकने की परिपूर्ण कोशिश करेंगे| इन सब वडून के चलते हुए राहुल गाँधी ने उस सीट को अपनी मुट्ठी में हासिल कर लिया| वर्ष २००६ में राहुल तथा प्रियंका गाँधी ने अपनी पूर्ण कोशिश करते हुए अपनी माँ सोनिया गाँधी को रैबरेली के दोबारा इलेक्शन में बहुमद से सीट दिलवाई| राहुल की राजनितिक पकड़ अछि होने की वजह से उन्हें २४ सितम्बर २००७ को इंडियन नेशनल कांग्रेस का महासचिव चुन लिया|
उनका महासचिव चुने का सबसे बड़ा कारन यह था की उन्होंने बहुत ही काम समय में अपनी राजनितिक पकड़ मजबूत कर ली थी साथ ही उसका उपयोग भी अचे से सीख लिया था| इन्ही सब फेरबदल के दौरान राहुल गाँधी को इंडियन युथ कांग्रेस तथा नेशनल स्टूडेंट यूनियन की भाग दौड़ थमा दी गयी| उनका ये मानना तथा की एक युवा को एक युवा से बेहतर कोई नहीं जान सकता है, इसी के चलते हुए ये निर्णय लिया गया|
वर्ष २००८ में कांग्रेस के लीडर वीरप्पा मौली ने राहुल को प्रधान मंत्री के रूप में देखना शुरु कर दिया था| युवा राजनीती तथा राहुल गाँधी को हमेशा जोड़ कर एक साथ ही देखा गया है और आखिर देखा भी क्यों न जाये उस समय में किसी और युवा की राजनीती में पकड़ होना बहुत मुश्किल सा ही था| इन्ही सब के दौरान राहुल गाँधी ने एक और वादा किया युवा राजनीती को बदलने का| अपने वादों पर खरे उतरने के लिए राहुल गाँधी ने नवंबर २००८ में में एक सभा बिठाये जिसके चलते उन्होंने ४० लोगो को चुना जो की युवा कांग्रेस को बेहतरीन करने के लिए अपना पूर्ण योगदान दे|
राहुल गाँधी के नियंतरण के अंतर्गत इंडियन युवा कांग्रेस तथा नेशनल स्टूडेंट यूनियन के साथ जुड़ने वाले लोगों की संख्यां में काफी बड़ा हिस्सा जुड़ता चला गया| २००९, २०१२ तथा २०१४ के चुनाव का असर राहुल गाँधी के राजीनीतिक जीवन पर तीव्र सा रहा| २००९ के लोक सभा चुनावों में राहुल गाँधी ने अमेठी की सीट अपनी मुठी में कर ली| उस चुनाव उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को एक काफी बड़े बहुमद से हराया था| इन्ही सब के दौरान राहुल करीबन करीबन १२५ रैलियों में दिखाई पड़े जोकि ६ सप्ताह के भीतर ही थी| इन रैलियों में उन्होंने अपने वादों तथा आने वाली योजनाओं के बारे में चर्चा की ताकि लोगो का विश्ववास उन पर बना रहे|
२००९ में राहुल गाँधी की लहर २०११ में कुछ काम सी हो गयी| २०११ में उन्हें उत्तर प्रदेश की पुलिस ने भत्ता परसौल गांव के पास से गिरफ्तार कर लिया क्युकी वो बड़के हुए किसानों की मांगों की हाँ में हाँ मिलाने लगे थे| वहां से गिरफ्तार करने के बाद उन्हें दिल्ली उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर बैल करा कर छोड़ दिया गया| २०१२ के असेंबली इलेक्शन के दौरान राहुल गाँधी अपनी जी जान से म्हणत में में लगे हुए थे|
इस इलेक्शन के दौरान उन्होंने करीबन २०० रैलियों में अपनी उपस्तिथि दिखाई तथा इन सब की वजह से कांग्रेस उत्तर प्रदेश की २८ सीटों को जीत चुकी थी| हालाँकि नतीजे पिछली बार से अचे नहीं थे इसके चलते गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गाँधी को फिर से मुखिया नहीं बनाया गया| इस बार नतीजे भी पिछले बार से कम ही अच्छे रहे| २०१४ के चुनाव के समय राहुल फिर अपनी सीट अमेठी से ही खड़े हुए और काफी रैली भी निकली| उस वर्ष राहुल गाँधी ने अपनी प्रतिद्वंद्वी स्मृति ईरानी को हराकर अमेठी की सीट अपने नाम की|
मन जाता है की राजनीती पकड़ होने के बावजूद भी राहुल के समय में कांग्रेस ने अपनी काफी बढ़ी हार का सामना किया. जो पकड़ उनकी २००९ में २०६ सीटों पर थी वो घट कर ४४ होगयी जोकि काफी चिंतामयी था एक ऐसी पार्टी के लिए जो हमेशा से बहुमद में रही हो| इन्ही सभी को मध्यांतर रखते हुए गाँधी ने अपना इस्तीफा देना का सुझाव पार्टी के सामने रखा जोकि पार्टी के जुड़े हुए लोगो ने मना कर दिया| इस चुनाव के उपरांत किसानों का बड़का हुआ रूप काफी चर्चा में रहा|
फरवरी २०१५ में राहुल गाँधी पार्टी से सम्बंधित कम को काम को कहते हुए एक लम्बी छुट्टी पर चले गए वहां से लौटने के बाद अप्रैल २०१५ में उन्होंने एक किसानों की समस्या सम्बंधित एक रैली ‘ किसान खेत मजदूर रैली’ का आयोजन किया जोकि रामलीला मैदान दिल्ली में हुआ| इस रैली में राहुल ने अपने नियमगिरि, ओर्रिसा तथा भत्ता पारुल, उत्तर प्रदेश में बाधक उठने के बारे में बात की|
राहुल ने इस रैली में मोदी सरकार को एक के बाद एक ताना जैम कर मारा, राहुल ने ये भी खा की नरेंदर मोदी जी ने जो अपने प्रचार के लिए पैसा व्यापारियों से लिए है वह वे किसानों की जमीन बेच कर देने वाले है| राहुल ने ये भी खा की सूट बूट वाली सरकार सिर्फ अपने बारे में सोचती है| राहुल ने उस रैली में मोदी तथा मोदी सरकार की काफी आलोचना की| मई में एक बिल बीजेपी द्वारा संसद में प्रस्तुत किया गया जिसको सभी विरोधी पार्टयों ने जैम कर विरोध किया उस समय राहुल ने खा की जो भी हो जाये वह ये बिल पास नहीं होने देंगे वह उसको रोकने के लिए हमेशा तैयार रहेगा यहां नहीं तो सड़को पर|
राहुल ने ये भी खा की यह बिल किसानों के बारे में बिलकुल न सोच कर बनाया गया है| २०१९ के इलेक्शन के दौरान राहुल ने अपना अपने प्रतिद्वंद्वी पार्टी को लेकर काफी आक्रोश दिखाया राहुल ने बीजेपी पर ‘चौकीदार चोर है’ कहकर ताना कसा| ये सब तो राहुल गाँधी की राजनितिक जिंदगी की एक रेखा थी पर अब उनके बारे में समिजाक और राजनितिक मातून के बारे में भी जान लेना चाहिए|
कहीं सरे विषयों के साथ राहुल गाँधी का नाम जुड़ा हुआ है जैसे राष्ट्रिय सुरक्षा, गरीबी, लोकपाल, सजायाफ्ता सांसदों पर अध्यादेश, महिलाओं के हक़ तथा लगबट अधिकार| दिसंबर २०१ो में एक केबल लीक हुई जिसमे २००९ में आयोजित एक भोज के बारे में थी जिसमे राहुल गाँधी भी आमंत्रित थे|
उस भोज के दौरान राहुल ने काफी साडी बातों पर राहुल गाँधी ने बीजेपी पर ताना कसा जैसी उत्तर बीजेपी ने राहुल की जमकर आलोचन की| राहुल ने कहीं बार ऐसे वाक्य कहें है जोकि देश की सुरक्षे के आड़े आके खड़े हो जाते है| उन्होंने कहि बार मुसलमानों को अपने तानो का शिकार बनाया है जोकि निराशाजनक है| प्रतिद्वंद्वी पार्टियों का कहना है की राहुल के शब्द देश को खतरे में ला सकते है|
राहुल गाँधी ने ये भी सुझाव रखा की लोकपाल को भी संसद के अंदर ले लिया जाना चाहिए इनकी कहना है की लोकपाल अकेले भृष्टाचार को नहीं मिटा सकता है, उसे किसी के साथ जोड़ने ही सही निर्णय है| हालाँकि उनके इस कत्थन को भी सही नहीं माना गया| गरीबी को भी नोक पर रकते हुए राहुल गाँधी ने कुछ ऐसे कथन दिए जोकि बिलकुल प्रशंसनीय नहीं थे| राहुल ने अल्ल्हाबाद की एक रैली में कहा की गरीबी सिर्फ एक दिमागी सोच है|
उनके इस कथन को सब ने गलत कहा| प्रतिद्वंद्वी पार्टियों का तो ये भी कहना रहा की वह यह कहकर गरीबों तथा गरीबी का सिर्फ मजाक उड़ा रहे थे| यकीं कहीं न कहीं ये वाक्य कहि लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचा कर गया था| इन सब के बावजूद राहुल गाँधी ने महिलाओं के अधिकार के लिए एक बड़ा कदम लिया था| लोक सभा में राहुल गाँधी महिला अधिकार बिल को पूरा सहयोग दिया| उस बिल के अंतर्गत ३३ प्रतिशत सीट लोक सभा तथा राज्य सभा की सिर्फ महिलाओं के नाम पर आरक्षित की जाती है|
राज्य सभा में ये बिल मार्च २०१० में पास हो गया था| राहुल गाँधी ने अपने राजनितिक जीवन काल में कहीं अछि चीज़ें तो काफी नीदमयी कथन भी दिया है परन्तु इन सब के बावजूद भी राहुल गाँधी देश के एक ऐसे युवा हमेशा मने जायेंगे जिन्होंने राजनीती को उस समय अपनाया जब वह कोई और रह बहुत ही आसानी से चुन सकते थे| उन्होंने किसी भी व्यवसाय को न चुनते हुए राजनीती में आने का फैसला लिया ताकि वह अपने पिता के सपने को पूरा कर सके तथा उसे पूरा होते हुए भी देख सके|
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