हॉरर नावेल | Horror Novels In Hindi

दोस्तो आज हम इस पोस्ट में हॉरर नावेल (Horror Novels In Hindi) पढ़ेंगे |

हॉरर नावेल (Horror Novels In Hindi )

2 साल पहले की बात है। मैं अपनी दोस्त की शादी से घर के लिए लौट रही थी। रात का वक़्त था, सुनसान इलाका था। मैं वहाँ से गुजरती हुई घर की ओर जा रही थी कि अचानक से एक घने जंगल के पास मेरी कार खराब हो गई। वह जंगल बहुत डरावना दिखाई दे रहा था, और वहां से अजीब अजीब सी आवाजें आ रही थी। वहाँ आसपास कोई घर कोई इंसान नहीं दिख रहा था।

मैं परेशान हो गई थी कि अब क्या होगा? मैं घर कैसे जाऊंगी? मैं यह सोच ही रही थी कि अचानक से मेरे पास एक बूढ़ी औरत आ गई और बोली बेटी तुम्हारी कार खराब हो गई है, और यहाँ आस-पास कोई नहीं है। तुम्हारा यहाँ रुकना ठीक नहीं, मेरा घर पास में ही है, तुम चलो आज की रात वहीं गुजार लो। मुझे भी यही सही लगा। मैं राजी हो गई और उस बूढ़ी औरत के साथ चल दी।

हॉरर नावेल Horror Novels In Hindi

मैंने उस बूढ़ी औरत से उसका नाम पूछा पर उसने कोई जवाब नहीं दिया। 10 मिनट बाद मैंने उस बूढ़ी औरत से पूछा कि इतने सुनसान इलाके में आप क्यों रहती हैं? तो उस बूढ़ी औरत ने कहा, अंधेरी रात,सूना जंगल, जंगल से आती है ये आवाज, यही मेरा असली घर है। मुझे यहां अच्छा लगता है। इतना कहकर वह चुप हो गई। मुझे वह थोड़ी अजीब लगी, पर मैं कुछ नहीं बोली और उसके साथ चलती गई।

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मैं चलते-चलते थक गई थी, तो मैं एक जगह पर रुक गई तभी उस औरत ने मुझे मेरे नाम से पुकारा। मैं हैरान रह गई कि मैंने अपना नाम तो बताया ही नहीं, तो इनको मेरा नाम कहाँ से पता चला? मैंने उस बूढ़ी औरत से पूछा आपको मेरा नाम कैसे पता चला? तो उस औरत ने बोला तुमने ही तो बताया था अभी थोड़ी देर पहले। मैं चुप हो गई मैंने सोचा हो सकता है, वह सच कह रही है, पर मुझे याद क्यों नहीं आ रहा?

अब मुझे डर सा लगने लगा था, और मैं यही सोच रही थी कि क्या मैंने इस बूढ़ी औरत के साथ आकर सही किया? अब मैं करती भी क्या उस रास्ते पर दूर-दूर तक कोई नहीं दिख रहा था। ऐसे में मैं इस औरत के साथ ना आती तो कहाँ जाती। मैं कुछ ज्यादा ही सोच रही हूं।

अब उस औरत ने कहा बेटी थोड़ी देर इस पेड़ के पास बैठते हैं। मैंने भी कहा ठीक है और हम दोनों आराम करने बैठ गए। मेरी आंख लग गई और जब मेरी आंख खुली तो वो बूढ़ी औरत वहाँ नहीं थी। मैं बहुत डर गई कि वो औरत कहाँ गई ? मैं उससे इधर-उधर ढूंढने लगी, अचानक से वो बूढ़ी औरत मेरे सामने आ गई, मैं जोर से चीख उठी थी। वो औरत हंसने लगी और बोली क्या हुआ? मैं तो तुम्हारे लिए यह फल लेने गई थी। उसने मुझे फल दिया और हम फिर से उसके घर की और चल दिए। उसने मुझे फल दिया और हम फिर से उसके घर की ओर चल पड़े आगे मैं देखती रही पर एक भी फल का पेड़ नहीं था। मैं डरती हुई उसके साथ चलती रही।

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चलते-चलते बहुत देर हो गई थी। मैंने उस औरत से पूछा कि आपका घर कब आएगा? हम कब से चल रहे हैं, आपने तो बोला था पास में ही है। उस बूढ़ी औरत ने कहा बस थोड़ी दूर है, फिर मेरा घर आ जाएगा। थोड़ी दूर और चलते ही एक कब्रिस्तान आया और वो बूढ़ी औरत वहाँ रुक गई और कब्रिस्तान की तरफ जाने लगी मैंने उससे डरते हुए पूछा आप वहाँ क्यों जा रही है? तब उसने जवाब दिया तुम पूछ रही थी ना मेरा घर कब आएगा? लो आ गया मेरा घर, यही मेरा घर है। इतना कहकर वह गायब हो गई। मैं बहुत डर गई थी। मैं वहाँ से भागी, भागते-भागते रोड पर आ पहुंची और एक कार से टकराते हुए बची। उस कार में एक परिवार बैठा था। उस परिवार ने मेरी हालत देखकर मुझे लिफ्ट दी और मुझे मेरे घर तक सही सलामत पहुंचाया।

आज भी मैं वह रात भूल नहीं पाई हूँ। आज भी उस रात के बारे में सोचती हूं तो काँप उठती हूं।

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