वैसे तो भारत को सबसे प्राचीनतम देश माना जाता है और इसके आर्यावर्त, भारतवर्ष, भारत, हिन्दुस्तान आदि नाम हैं किन्तु पश्चिमी सभ्यता आधारित इतिहास में इसे मध्यकालीन युग से माना जाता है. इसका नाम भारत अथवा इंडिया (India) माना जाता है.
अब सवाल यह उठ खड़ा होता है कि पश्चिमी इतिहास के अनुसार भारत की खोज किसने की थी ? आखिर किस साल में भारत की खोज हुई थी और यह देश दुनिया को मालूम पड़ सका था ?
सबसे पहले भारत की खोज वास्को डि गामा (Vasco Da Gama) ने की थी. 20 मई 1498 को उन्होंने भारत की खोजै था. वह एक समुद्री यात्री एवं लूटेरे थे जिन्हें ईसाई धर्म के प्रमुख पोप ने समुद्र के सहारे यात्रा कर भारत को खोजने का आदेश दिया था. वह नेवी के कमांडर के तौर पर काम करते थे और अपनी नेवी पल्टन के साथ भारत की खोज हेतु समुद्री यात्रा पर निकल पड़े. उस समय भारत दुनिया भर में “सोने की चिड़िया” के नाम से मशहूर थी क्योंकि यह हर तरह की समृद्धि थी फिर वह तकनिकी हो , धार्मिक हो या भौतिक.
1498 ई. में पुतर्गाल देश से होते हुए उन्होंने समुद्री यात्रा आरम्भ करी और भारत के तटीय छोर पर बेस केलिकट यानी आज के केरल के केलिकट तक पहुंचे. ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने बतौर मसालों के व्यापारी देश में प्रवेश किया था. इसी के तहत उन्होंने तब के राजवंशो और गुटों से लड़ाइयां लड़ी और कई लड़ाइयों में उन्होंने विजय हासिल करी. वह केलिकट पोर्ट (calicut port) के सबसे प्रभावशाली और बड़े व्यापारी बनकर उभरे और मसालों के अलावा अन्य चीज़ो का व्यापार भी किया.
इसी के बाद से भी पश्चिमी विदेशियों का भारत आना शुरू हो गया और सबसे पुतर्गाली व्यापारियों ने भारत में आकर व्यापर करना शुरू किया और अपनी कम्पनीज को स्थापित किया जिससे उनकी राजनितिक शक्ति भी बढ़ती गई.
केरल को मसालों की भूमि (land of spices) भी कहा जाता है इसी वजह से यह मसाला व्यापारियों का प्रमुख ट्रेडिंग पॉइंट बनकर के उभरा था. इस तरह वास्को डि गामा ने यूरोप से लेकर भारत तक समुद्री व्यापर मार्ग खोलकर रख दिया और इसी लिए भारत की खोज करने का श्रेय इन्हें ही दिया जाता है विशेष तौर पर पश्चिमी इतिहास द्वारा.
वह दक्षिण अफ्रीका के केप ऑफ़ गुड (cape of good) होते हुए भारत पहुँचे और उनका जन्म स्थान साइनस (पुतर्गाल) में हुआ था. वह एक नौसेनानी, ईसाई धर्म प्रचारक और व्यापारी थे जिन्हें समुद्री रास्तो के ज़रिये दुनिया भर के हिस्से खोजने का जिम्मा दिया जाता था ताकि वह हर स्थान में जाकर वहां के लोगों से सम्बन्ध बनाये और ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार कर सकें एवं यूरोपीय लोगों के व्यापारिक-राजनितिक संबंधो को हर देश में स्थापित कर सकें.
यहाँ यह जान लेना ज़रूरी है कि भारत और यूरोप का ऐतिहासिक रिश्ता बेहद पुराना है क्योंकि भारत में विदेशियों के आने से पहले ही आर्यो का आगमन हो चुका था जैसा कि पश्चिमी इतिहास की किताबों में उल्लेखित है किन्तु द्रविड़-आर्यन थ्योरी गलत साबित हो चुकी है और आर्य भारतवंशी ही थे यह सिद्ध हो चुका है डीएनए रिसर्च स्टडी के माध्यम से. अब आपने जान लिया होगा कि भारत की खोज किसने की।
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भारत की खोज किसने की जानकारी होना आवश्यक है, और इस आर्टिकल द्वारा आपको यह पता चल गया होगा कि भारत की खोज किसने की।
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