मित्र को पत्र | Mitra Ko Patra | Letter to a friend in hindi

मित्र को पत्र12/24 करोल बाग
केशव नगर
नयी दिल्ली

नवम्बर 10, 2018

प्रिय मित्र,

मैं यहाँ कुशल मंगल हूँ और आशा करती हूं कि तुम भी कुशल मंगल होगी। पिछले महीने तुम्हारा पत्र मिला पर विद्यालय वरिसिकोत्सव के कारन मैं तुम्हें पत्र नहीं लिख पायी। आज ही वरिसिकोत्सव का कार्यक्रम समाप्त हुआ है तो मैंने सोचा तुम्हे पत्र लिख दूँ। यह वरिषकोत्सव मेरे लिये सदैव ही प्रिय होगा क्योंकि मुझे पहली बार विद्यालय के सर्वश्रेस्ठ विद्यार्थी के लिए सम्मानित किया गया है |

और तुम्हें पता है मुझे ये सम्मान किसने दिया, ये सम्मान मुझे हमारे मुख्य मंत्री के हाथों मिला। उस वक्त मुझे इतना गर्व हो रहा था खुद पर की मैं बता नहीं सकती। इस बार सारा कार्यक्रम को सँभालने की ज़िमेदारी मुझे और मेरे ही कक्षा के एक लड़के को दिया गया था। करीब एक महीने से इसके लिए तैयारी चल रही थी। सबने अपने इक्षा से नृत्य, संगीत, नाटक, भाषण में भाग लिया। सभी अध्यापक और विद्यार्थी बहुत ही उत्साहित थे और ज़ोर शोर से तैयारी की जा रही थी।

हिंदी नाटक के लिए हिंदी के अधयापक के हाथ में बागडोर थी और क्योंकि वो थोड़े गुस्सेल स्वभाव के हैं पर सर ने सवं ही जा कर सारे विधायर्थियों से इस विषय में बात की और सब ने खुश होकर अपना नाम दिया। सारे कार्यक्रम का अभ्यास के लिए एक समय निर्धारित किया गया और विद्यार्थी सिर्फ उसी समय पर अभ्यास कर सकते थे न ही पहले न बाद में। आखिर वो दिन आ हु गया जिसके लिए सब बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। सब अपने अपने कार्यक्रम को लेकर कुछ ज्यादा ही परेशान लग रहे थे परेशान से ज्यादा चिंतित थे कि आखिर कैसा होगा उनका उनका प्रदर्शन हमारे मुख्य अतिथि यानी हमारे मुख्यमंत्री के सामने कैसा होगा सब इस बात को लेकर कुछ ज्यादा ही परेशान थे पर बावजूद इसके सब बहुत उत्साहित थे और उत्तेजित भी।

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सुबह से ही कार्यक्रम की तैयारी शुरू हो गयी। हर तरफ फूलों की सजावट थी। हमारे विद्यालय के ऊपर फूलों की माला लग गई थी। विद्यालय के प्ले ग्राउंड में एक बड़ा सा मंच बनाया गया था जहां पर सारा कार्यक्रम प्रदर्शित किया जाने वाला था। धीरे-धीरे सूरज ढलने लगा और वह घड़ी आ गई थी जिसका सबको बेसब्री से इंतजार था, बस कार्यक्रम कुछ ही मिनटों में शुरू होने वाला था।

फिर हमारे मुख्यमंत्री पधारें और कार्यक्रम का आवाहन हुआ सबसे पहले मुख्यमंत्री ने दीया जलाकर कार्यक्रम का आवाहन किया उसके बाद हमारे मुख्यमंत्री ने कुछ आत्मविश्वास बढ़ाने वाली बातें कही जो हर बच्चे के दिल में कहीं ना कहीं बस गई। फिर हमारे प्रिंसिपल महोदय ने अपना भाषण दिया और हमें और उत्तेजित किया अपना प्रदर्शन देने के लिए और जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए। कार्यक्रम की शुरुआत गायत्री मंत्र से हुई उसके बाद पहला प्रदर्शन शुरू हुआ जो कि एक मराठी डांस थी जिसे लावणी भी कहा जाता है और वह झिंगाट गाने पर थी। इस नृत्य ग्रुप ने बड़ा ही अच्छा प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री के दिल को लुभा गया। उन्होंने खड़े होकर ताली बजाए इसके लिए। इसके बाद हमारा दूसरा प्रदर्शन संगीत का था।

संगीत के लिए हमारी संगीत की मैडम और संगीत के सर दोनों ने एक साथ गाना गाया सभी विद्यार्थी अपने अध्यापक का मनोबल बढ़ा रहे थे और यह देखकर हमारी मैडम और सर भी उत्साह के साथ गा रहे थे। चुटकुलों का दौरा आया, कुछ विद्यार्थी आए जिन्होंने मजेदार चुटकुले सुनाएं जिन पर ठहाके मार कर मुख्यमंत्री भी  खिलखिलाए। फिर आया हिंदी नाटक का दौर, नाटक कर्ता सब डरे हुए थे और उनके साथ हम सब भी । इस नाटक की कहानी सुनकर शरीर में रोंगटे खड़े हो गए। यह वह कहानी थी जिससे पूरे भारत की जनता को डरा के रखा हुआ है यह निर्भया की कहानी थी, उस निर्भया की कहानी थी जिसने बहुत दर्द में अपना दम तोड़ा था, जिसकी आंसू की बूंदे अभी भी हमें रुला जाती है, जिसकी चीखें हमें अभी भी डरा जाती हैं। इस नाटक में हम सबकी आंखों में आंसू भर दिया पर सबने तालियां बजाई ऐसी की पूरा विद्यालय गूंज गया। इस उदास माहौल को उत्साहित किया अगले रंगारंग कार्यक्रम जिसका नाम था जागो ग्राहक जागो।

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हमारे कुछ विद्यार्थियों ने इसमें उन्होंने यह दिखाया कि कैसे एक चालू व्यक्ति ने एक दुकानदार को ही उसकी जगह दिखाया और अपना हक कुबूल करवाया वह भी उसी के मुंह से। यह देखकर सब खिलखिला उठे वापस मानो रौनक छा गई हो विद्यालय में। इसके बाद हमारा अगला संगीत ग्रुप आया जो कि हमारे प्यारे नन्हे क्लास वन के बच्चे थे जिन्होंने मशहूर बदतमीज दिल गाना गाया। इन के बाद फिर आया नृत्य की बारी जिसमें अब माइकल जैकसन के नृत्य को दिखाया गया था। इनका प्रदर्शन काफी सराहनीय था खास करके वह मून वॉक। फिर हमारी हिंदी की अध्यापिका ने जिंदगी जीने के आधार सिखाएं अपने भाषण से और साथ ही धन्यवाद दिया हमारे मुख्यमंत्री को। इसके बाद समय था अंग्रेजी नाटक का जिस को प्रदर्शित करने के लिए आए हमारी स्कूल की सबसे प्यारी मैडम, जिनका बोलना सुनकर सब खुश हो जाते हैं, इन्होंने नाटक प्रस्तुत किया शेक्सपियर की कहानी पर। क्या दर्शाया है उन्होंने रोमियो और जूलियट को मानो जैसे रोमियो जूलियट को हमने साक्षात देख लिया।

आखिर में एक गाना प्रस्तुत किया गया जोकि मन मोह लेने वाला गाना था क्योंकि वह कृष्ण पर आधारित था। वही गाना था जिन्हें सुनकर गोपिया भी मंत्रमुग्ध हो जाती थी। इसमें कृष्ण की व्याख्या थी, श्री कृष्ण हरे मुरारी यह यह शब्द सुनते ही सब के रोंगटे खड़े हो गए हमारी सीनियर ने क्या गया था, उन्हें तो इस बात पर अवॉर्ड दे देना चाहिए था।

अब अंत की और हम बढ़ चले थे पर अभी भी कुछ बाकी था।  अभी बाकी था सारे उत्तीर्ण विद्यार्थियों को पुरस्कार देना। पहले हमारे प्रिंसिपल ने भाषण दिया और सारे बच्चों को बुलाया और मुख्यमंत्री से पुरस्कार दिलाया।  मैंने जैसे तुम्हें बताया कि मुझे भी सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी के लिए पुरस्कार मिला। मैं इस पत्र के साथ में एक फोटो भी भेज रही हूं तुम देख लेना जरूर मुख्यमंत्री के साथ मेरी फोटो आई है जिसे मैं सदैव सजा के रखूंगी और साथ ही साथ तुम्हें इस अवसर पर जरूर याद करूंगी काश तुम यहां होती तो शायद मेरी खुशी और दुगनी हो जाती पर पर कोई बात नहीं शायद अगले वर्ष तुम मेरे साथ रहो। और मैं बताती हूँ तुम्हे आगे क्या हुआ।

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अब सबको पुरस्कार मिल गया तो मुख्यमंत्री ने फिर से कुछ शब्द कहे और आखिरकार कार्यक्रम का अंत हुआ। कार्यक्रम के अंत होते ही हमारे सीनियर्स फुट फुट के रोए क्योंकि उनके जाने का समय भी निकट आ गया था। उन्हें स्कूल छोड़ कर जाना था और उनके जाने में बस कुछ महीने बचे थे। सब रो रहे थे और सारे विद्यार्थी उन्हें शांत कर रहे थे। सारे अध्यापक अध्यापिका भी उन्हें शांत करने में लगे हुए थ। फिर उसमें एक छोटा सा बच्चा आया और सब को एक चुटकुला सुनाया जिसको सुनकर सब खिलखिला उठे और सब के चेहरे पर वापस मुस्कान आ गई और इसी मुस्कान के साथ हमारा यह वार्षिकोत्सव खत्म हुआ। आशा करती हूं अगले साल भी वार्षिकोत्सव इतना ही उत्तीर्ण हो इतना ही मजेदार हो।

तुम्हारी प्यारी मित्र
प्रियंका

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