मित्र वही जो मुसीबत में काम आए पर कहानी- Sacha Mitra Story in Hindi
दोस्तो आज हम मित्र वही जो मुसीबत में काम आए पर कहानी- Sacha Mitra Story in Hindi के बारे में जानेंगे, सच्चा मित्र मिल जाए तो पूरी जिंदगी बदल जाती है|
मित्र वही होता है जो मुसीबत में काम आता है।
A Friend in need is a Friend Indeed
दोस्त तो अक्सर सभी के होते है। परंतु सच्चे मित्र की पहचान करना बहुत ही कठिन है सच्चा मित्र वही होता है जो आपके दुख का साथी होता है और आपकी खुशियो में आपकी खुशिया दुगुनी करता है।कहने के लिए यह खून का रिश्ता तो नही होता पर किसी खून के रिश्ते से कम नही होता।
जैसे कि सुदामा-कृष्ण, राम और सुग्रीव, दुर्योधन और कर्ण की मित्रता के बारे में तो आप सभी ने सुना होगा यह ऐसी पौराणिक मित्रता है जो कि हमारे लिए एक बहुत ही बड़ी मित्रता का प्रतीक है।
आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी से अवगत करवाने जा रहे हैं।
एक समय की बात है दो दोस्त माधव और श्याम एक ही गांव में रहा करते थे दोनों में ही घनिष्ठ मित्रता थी दोनों ही एक दूसरे की जान थे। दोनों की सोच तो आपस में बहुत ही समान थी परंतु माधव एक धनी परिवार से ताल्लुक रखता था
जबकि श्याम एक मध्यमवर्गीय परिवार का लड़का था। कहते हैं दोस्ती हमेशा अपने बराबर के लोगों से करनी चाहिए परंतु माधव और शाम में इतना बड़ा अंतर होने के बाद भी इनकी मित्रता बहुत ही गहरी और पक्की थी इनमें किसी प्रकार का भेदभाव नहीं था।
माधव के पिता को अमीर होने का बहुत ही घमंड था वह अपने आप में शान में रहते थे और वह पैसों के आगे अपनों को भी कुछ नहीं समझते थे ऐसे में माधव का इकलौता साथ ही श्याम ही था जिससे वह अपने दुख और सुख सांझा किया करता। माधव शाम को अपने भाई की तरह बल्कि भाई से भी कहीं ज्यादा मानता था और उसकी इज्जत करता था और उसे अपना सब कुछ समझता था माधव बहुत ही सीधा सादा और सरल स्वभाव का था परंतु है। हीरा को अपने आपसे ज्यादा समझदार समझता था ऐसा था नहीं वह दोनों ही बहुत ही सीधे और सरल थे।
माधव हर वक्त अपनी परेशानियों को लेकर श्याम के पास जाया करता और श्याम उसकी सभी समस्याओं का हल निकालता परंतु था तो वह उसका दोस्त ही उसकी सारी परेशानियों को सुनकर वह खुद टेंशन में आ जाता और खुद ही परेशानी में पड़ जाता था। ऐसी बहुत सी परिस्थितियां भी आई जिनमें उनकी दोस्ती को खतरा होने लगा परंतु उन दोनों ने कभी किसी परिस्थितियों को भी अपनी दोस्ती के बीच आने नहीं दिया और अपनी दोस्ती को कायम रखा चाहे कोई भी दिक्कत या परेशानी का सामना उन्हें करना पड़ा।
माधव अपने ही गांव की एक लड़की राधा से बहुत अत्यधिक प्रेम किया करता था । राधा एक बहुत ही निम्न परिवार की लड़की थी जिसे माधव का पिता कभी भी स्वीकार नहीं करता परंतु माधव राधा से इस हद तक प्यार करता था कि वह उसकी जुदाई बर्दाश्त नहीं कर सकता था और उसने घर पर बिना बताए राधा के साथ शादी कर ली और उसे अपने घर ले आया जिसमें उसके दोस्त श्याम ने उसका पूरा साथ दिया।
राधा की बहू बनने के बाद घर आने के बाद भी माधव के पिता ने उसे कभी भी बहू के रूप में स्वीकार नहीं किया वह हमेशा उसे किसी बाहर वाले की नजर से देखा करता था और हमेशा उसके साथ अभद्र व्यवहार करता था। वह हमेशा ही राधा को चोट पहुंचाने का काम किया करते थे।माधव को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी और वह श्याम के पास जाकर सब बात किया करता था और श्याम उसे समझाता था कि उसके पिता एक दिन जरूर मान जाएंगे परंतु ऐसा कभी नहीं हुआ।
अचानक एक दिन राधा जब सो कर उठे तो उसकी बहुत ही ज्यादा तबियत खराब हो रही थी जब माधव ने यह देखा तो मादा और श्याम दोनों ही राधा को लेकर डॉक्टर के पास भागे डॉक्टर के पास जाने के बाद और सारे टेस्ट होने के बाद सामने आया कि ज्यादा कि दोनों किडनी खराब हो चुकी है और जल्द से जल्द किडनी ट्रांसप्लांट करवाने की आवश्यकता है। यह एक ऐसा समय था जब माधव और श्याम दोनों पर ही दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था एक तरफ माधव राधा से अंधों की तरह प्यार किया करता था और उसकी यह हालत देखकर माधव बिल्कुल हताश हो चुका था इस समय श्याम उसके साथ दिन-रात खड़ा रहा और उसे सहानुभूति दी।
किडनी का मिलना तो मुश्किल नहीं थी किडनी तो माधव भी राधा को देने के लिए तैयार था परंतु परेशानी थी तो पैसों को लेकर कि आखिरकार किडनी ट्रांसप्लांट में जो पैसा लगेगा वह कहां से आएगा यह सोचकर वह भागे भागे माधव के पिता के पास गए माधव के पिता ने जब यह बात सुनी तो माधव को बाहर का रास्ता दिखाते हुए उन्होंने पैसे देने से साफ इनकार कर दिया और राधा को बद दुआएं देने लगे। हताश होकर माधव तालाब के किनारे जाकर बैठ गया तभी श्याम ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा हताश ना हो पैसों का इंतजाम हो जाएगा तुम चिंता मत करो।
कुछ रोज बाद श्याम मादक के पास बागा बागा आया और बोला कि देखो पैसों का इंतजाम हो गया है अब हमें बिल्कुल भी देर नहीं करनी चाहिए माधव ने श्याम से पूछा कि तुम्हारे पास इतने पैसों का इंतजाम कैसे हुआ तब श्याम के माध्यम से कहा कि तुम उसकी चिंता मत करो मैंने एक बड़ी सेठ से यह पैसे उधार लिए हैं हम समय आने पर उसे सारा पैसा चुका देंगे।
जल्द ही ऑपरेशन की तैयारी हो गई ऑपरेशन होने के समय पता चला कि माधव की किडनी भी ज्यादा से मैच नहीं कर रही है तब श्याम माधव के पास आया और बोला कि निराश मत हो मेरे दोस्त एक ऐसा इंसान मिला है जो कि पैसों का जरूरतमंद है और वह पैसों के बदले अपनी किडनी देने के लिए तैयार है|
दोनों दोस्तों ने देर ना करते हुए जल्द से जल्द ऑपरेशन करवाया और राधा का यह ऑपरेशन सफल रहा जब ऑपरेशन पूरा होने के बाद माधव राधा को कर ले जाने के लिए हॉस्पिटल से निकला तो श्याम गेट पर ही रुक गया माधव के पूछने पर श्याम बोला कि मुझे थोड़ा काम है तुम चलो मैं वह काम निपटा कर आता हूं तब माधव को थोड़ी सी शंका हुई और वह श्याम के पीछे पीछे गया तब उसने देखा कि श्याम ने यह पैसा अपने घर को बेचकर ऑपरेशन के लिए दिया था और इतना ही नहीं श्याम की पत्नी ही थी जिसने अपनी किडनी का दान राधा को किया था इससे हमें पता चलता है कि दोस्ती कभी भी खून का रिश्ता देख कर नहीं होती यह तो दिल का रिश्ता होता है जिसमें केवल इज्जत और मान जरूरी होता है।
इस कहानी में श्याम ने माधव के लिए जो किया वह बहुत बड़ी बात है इतना ही नहीं ऐसी बहुत ही निकाले देखी जाती हैं जो कि दोस्ती पर सब कुछ न्योछावर कर देती हैं। सच्ची दोस्ती वही होती है जो गलत बातों को दरकिनार कर के दोस्ती निभाई जाती है। किसी ने सच ही कहा है कि दोस्त कभी-कभी हमारे उस काम आते हैं जो शायद कभी अपने भी काम नहीं आते।
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