सरोजिनी नायडू (जन्म – सरोईजनि चट्टोपाध्याय ) इनका जन्म १२ फरवरी १८७९ को हुआ था । यह एक भारत की स्वत्रंत्रता कार्यकर्ता और कवी थी । उनका जन्म हैदराबाद मे एक बंगाली हिन्दु परिवार मई हुआ था और इन्होने अपनी
शिक्षा चेन्नई , लंदन और कैम्ब्रिज मई किया था । इनकी पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय था । इनके पिता एडिनबर्घ विश्वविद्यायल से विज्ञानं के डॉक्ट्रेट थे , फिर वे बाद में हैदराबाद में स्थापित हुए और वहा के महविद्यालय मई कार्यस्त हुए ।
सरोजिनी नायडु जीवन परिचय in Short
नाम – सरोजिनी गोविंद नायडु जन्म – १३ फरवरी १८७९ जन्मस्थान – हैद्राबाद पिता – डॉ. अघोरनाथ चट्टोपाध्याय माता – वरद सुंदरी शिक्षा – १८९१ में जीवनसाथी - श्री.मुत्तयला गोविंदराजुलु नायडु मृत्यु - मार्च 2, 1949 (उम्र 70) इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत बच्चे - जयसूर्य, पद्मजा, रणधीर और लीलामणि
इनकी माता एक बंगाली कवियित्री थी और अपने आठ भाई – बहनो में सबसे बड़ी थी । इनकी माता के भाई एक क्रांति वीर थे जिनका नाम वीरेंदर चट्टोपाध्याय था और दूसरा भाई कवी , कलाकार तथा अभिनेता था । सरोजिनी ने भारत के राष्ट्रिय आंदोलन में अहम् भूमिका निभाई थी । इन्होने अपनी दसवीं की परीक्षा मद्रास विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण की थी फिर इन्होने ने पढाई से ४-५ साल का अंतराल लिया ।
सन १८९५ में निज़ाम शिष्यवृत्ति संस्था जिसे ६थ निज़ाम मीर महबूब खान ने बनवाया था , इन्ही ने सरोजिनी नायडू को मौका दिया इंग्लैंड है किंग्स कॉलेज से पढाई करने का और उसके बाद गीर्तोंन कॉलेज कैम्ब्रिज से पढ़ने का
भरपुर मौका दिया । सरोजिनी नायडू की उम्र सिर्फ १७ { कुछ कहते है १९ } थी जब वह विवाह के
बंधन मई बंध गयी थी । वह केवल १५ की थी जब वे डॉक्टर गोविंदराजुलू नायडू के साथ प्यार कर बैठी । इनके पति का पूर्ण नाम मुथ्याला गोविंदराजुलू नायडू था ।
गोविंदराजुलू पहले से शादी- शुदा थे बाद मई उनकी पत्नी का देहांत होने से वह एक पुरुष विधवा का जीवन जी रहे थे और सरोजिनी से शादी के समय वो सरोजिनी से १० साल उम्र मई बड़े थे । शादी के बाद दोनी पति-पत्नी ब्रहमो
समाज के सक्रिय सदस्य थे । दोनों का विवाह हैदराबाद के एक साथी ब्रहमो समाज के सदस्य कंदुकुरी वीरेशलिंगम पंतलु गरु द्वारा कराया गया था । दोनों की शादी अंतर जाति विवाह थी उस समय अंतर जाति विवाह की अनुमति नहीं थी पर उनके माता-पिता ने शादी के लिए हामी भर दी ।
शादी से पहले सरोजिनी ने अपने पति को प्यार पत्र एक कविता के रूप में लिखा था । युगल से कुल ५ बच्चे थे । उनकी बेटी पेदीपति पद्मजा आगे चल के प्रसिद्ध हुई । पद्मजा आगे चल के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गईं और
भारत छोड़ो आंदोलन का हिस्सा भी थी ।
सरोजिनी ने बंगाल के विभाजन के चलते भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुई । जिसमे वे महात्मा गाँधी , जवाहरलाल नेहरू, रविंद्र नाथ टैगोर ,मुहम्मद अली जिन्न्ना , गोपाल कृष्णा गोखले इत्यादि के संपर्क मई आई सन
१९०५ के समय ।
पढाई के समय उनके अद्भुत काम को देख कर नोबेल लोरेट ऑथर साइमन और एडमंड
गोसे ने उन्हें भारतीय थीम वाली कविताओं लिखने के लिए प्रेरित किया । भारतीय जीवन और उनकी बदलती घटनाओं को चित्रित करने के लिए सरोजिनी सबसे अच्छे कवियों में से एक बन गयी । सरोजिनी ने अपनी कविताओं का संग्रह १९०५ में सबके सामने रखा ।
सन १९२५ के दौरान वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर चयनित की गयी । कुछ वर्षो बाद सन १९२९ में वह पूर्वी अफ़्रीकी भारतीय कांग्रेस की सदयस्ता संभाली । सरोजिनी को कैसर-ऐ-हिंद पदक से सम्मानित किया गया था
अंग्रेजी सरकार द्वारा । जब भारत में प्लेग महामारी को मिटने के लिए अपना उच्च योगदान दिया था । सरोजिनी ने
दिल्ली के मेहरौली इलाके में पेड़ लगाए थे ।
सन १९३१ में सरोजिनी मई सरोजिनी महात्मा गाँधी और मोहन मालवीय के साथ तथा अन्य के साथ वे जेल भी गयी क्योंकि सरोजिनी ने नमक आंदोलन में बढ़ – चढ़ के हिस्सा लिए था । इसका आरंभ लंदन के गोल मेज सम्मेलन मई हुआ था ।
सरोजिनी ने ” सविनय अवज्ञा ” आंदोलन में बहुत ही प्रमुख भूमिका निभाई और
इसी के चलते इन्हे गाँधी जी तथा अन्य के साथ जेल भी भेजा गया । जेल जाना सरोजिनी के लिए आम-बात थी । सन १९४२ मई सरोजिनी ने भारत छोड़ो आंदोलन को बहुत महत्व देते हुए उस्समे हिस्सा लिया और इस्पे
भी इन्हे गिरफ्तार किया गया था ।
सरोजिनी नायडू ने अपने लेखन की शुरुआत १२ वर्ष की आयु में शुरू कर दिया था । इनके फ़ारसी नाटक ” माहेर मुनेर ” ने हैदराबाद के नवाब को बहुत प्रभावित किया । सन १९०५ में उनकी कविताओं का पहला संग्रह जिसका नाम ” द गोल्डन थ्रेशहोल्ड ” था वह प्रकाशित हुआ ।
वॉल्यूम के ऑथर साइमन द्वारा एक परिचय दिया गया था । उनकी कविताओं को बहुत से राजनेताओं जैसे गोपाल कृष्णा गोखले जैसे बड़े और प्रमुख नेता ने इनकी कविताओं को बहुत सराहा था । ” फैदर ऑफ़डौन ” जिसमे सरोजिनी की सन १९२७ में लिखी कविताओं को सम्पादित किया गया था और उनकी बेटी पद्मजा नायडू ने १९६१ में मरणोपरांत प्रकाशित किया था ।
सरोजिनी नायडू भारत की पहली महिला गवर्नर बानी । सरोजिनी नायडू ने १९४७ से १९४९ तक आगरा और औध के संयुक्त प्रांत के गवर्नर के रूप में कार्य काल संभाला था । सरोजिनी को भारत की बुलबुल के रूप में जाना जाता है ।
सरोजिनी नायडू का देहांत का कारण हृदय गति के रुकने की वजह से हुआ था ।
भारत के समय के अनुसार उस समय तकरीबन ३.३० प.म २ मार्च सन १९४९ को लखनऊ
के सरकारी कार्यालय मई हुआ था । जब सरोजिनी १५ फरवरी को दिल्ली से लौटी थी तब उन्हें चिकित्स्कों
द्वारा आराम करने की सलाह दी गई थी और सभी आधिकारिक काम को ना करने को कहा गया था । १ मार्च को सरोजिनी का स्वस्थ गंभीर रूप से ख़राब होने लगा
था ।
सरोजिनी ने कहा था उनका सर बहुत दुःख रहा है । उसी समय उनका रक्तचाप किया गया था। लगातार खासी और फिट के बाद उनकी मृत्यु हो गयी थी । सरोजिनी के मरने के पहले कहा जाता है की जो नर्स उनकी उस समय देख भाल कर
रही थी उसे १०:४० प.म बजे तक गाने के लिए कहा गया था । जिससे सुनते सुनते वे सो गयी थी । उनका अंतिम संस्कार गोमती नदी मई किया गया था ।
आज कई महाविद्यालयों का नाम उनके नाम पर रखा गया है ।सरोजिनी नायडू का जीवन हमे प्रेरणा देता है और उनके जीवन से हमे बहुत कुछसीखने को मिलत| है ।