हेलो दोस्तों कई बार ऐसा होता है कि हम बीमार हो जाते हैं, कई बार हम बारिश में भीग जाते हैं कई बार बुखार आ जाता है कई बार हमें बाहर जाना पड़ जाता है हमारा स्कूल जाना छूट जाता है जिसके लिए हमें प्रधानाचार्य को अवकाश हेतु या छुट्टी के लिए प्रार्थना पत्र लिखना पड़ता है।
दोस्तों आज हम आपको बताएँगे की प्रधानाचार्य को छुट्टी के लिए प्रार्थना पत्र (Application for Leave in Hindi) कैसे लिखें। जो की कुछ इस प्रकार है:
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, लखीमपुर खीरी ( उ. प्र. )
दिनांक – 08/05/2019
विषय – अवकाश प्रदान करने हेतु
महोदय सविनय निवेदन इस प्रकार है कि मैं आपके विधालय में कक्षा 10 का छात्र हूँ, प्रार्थी को कल रात तीव्र ज्वर हो गया है जिसके कारण मैं कॉलेज आने वह असमर्थ है, प्रार्थी को कई दिनों से ज्वर होने के कारण अस्पताल में भर्ती कराना पड़ रहा है|
यह कहना मुश्किल होगा की प्रार्थी किस दिन विद्यालय पहुंचेगा अत: विनम्र निवेदन है उसको अनिश्चितकालीन (जब तक वह बिकुल स्वस्थ नहीं हो जाता )अवकाश देने की कृपा करें।
अति कृपा होगी।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
छोटूराम गुलाम
दिनांक – २३-०५-2019
छुट्टी या अवकाश के लिए आवेदन पत्र या प्रार्थना पत्र -2 Application for Leave in Hindi (Long Format)
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
सत. ज़ेवियर स्कूल,
चंडीगड़
9 जून 2019
विषय: छुट्टी के लिये आवेदन पत्र
महोदय
स्वनिया निवेदन है की मैं आपके ही विद्यालय का आठवीं कक्षा का छात्र हूँ। महोदय जाभ में कल विद्यालय से घर पहुँचा तब तक तोह सभ ठीक था परंतु जब में शाम में खेलने के बाद घर लौटा तोह में स्तब्ध रह गया, मेरी माता श्री बिस्तर से नीची गिरी हुई थी, मेरी छोटी बहन रो रही थी, में भाग कर माँ के पास गया और जाभ मैंने उनके पुकारा तोह उनोने कोई जवाब नही दिया, में बहुत डर गया था।
मैंने उनको छुहा तोह उनका बदन भट्टी जैसा गर्म होगया था, उस पल में बहुत ज्यादा ही डॉ गया था, में जल्दी से माँ के लिये किचन से पानी लाया और नए पिलानी की कोशिश की परंतु विफल हो गया, मैंने जल्दी से अपनी बहिन को चुप करवाया और अपने पड़ोसी सीमा आंटी के पास चला गया, वह पेशे से डॉक्टर हैं। लेकिन वह जा कर पता चला की सीमा आंटी तोह अभी भी हस्पताल में ही हैं।
मैंने माँ की हालत सीमा आंटी के पति राजेश अंकल को बता दी जो भाग्यवर्ष ऑफिस से उस समय जल्दी लौट आए थे। वह तुरंत मेरे साथ मेरे घर जाने को तैयार हो गए , वह जब तक मेरे घर पहुचे माँ की हालत और बिगड़ चुकी थी, उन्हे इतनी गर्मी में काफी ज्यादा ठण्ड का अहसास हो रहा था, राजेश अंकल ने उनके देखते ही बोल की इन्हे तुरंत हस्पताल में एडमिट करना होगा। उनोने तुरंत एम्बुलेंस को कॉल कर हमारे घर बुला लिया, में उस पल तक काफी सहम चूका था, मुझे विश्वास नही हो रहा था कि मेरी माँ जो विद्यालय से मेरे घर आने पर इतनी खुश वह दूसरे ही पल इतनी बीमार होगयी, मेरी बहिन भी उस समय मेरा पूरा साथ दे रही थी।
हम तुरंत एम्बुलेंस से सीमा आंटी के हस्पताल जा पहुचे, डॉक्टर्स मेरी माँ को चेकिंग के लिये कमरे के अंदर ले गए मेरे साथ राजेश अंकल थे , मुझे तबि याद पर की मेरे पिता जी को इन सभ हालातो के बारे में तोह पता ही नही, मैंने राजेश अंकल से निवेदन किया कि की वह मेरे पिता श्री को माँ की हालत के बारे में बता दे, परंतु राजेश अंकल नए सर हिलाते बिल जाभ हम एम्बुलेंस से हस्पताल आ रहे थे तभी मैंने तुम्हारे पिता जी को इन सभ के बारें में बता दिया था, और वह अभ किसी भी समय यहाँ हस्पताल पहुचते ही होंगे।
मुझे यह बात सुन कर काफी रहत मिली और में वह पास पर्री कुर्सी में बैठा और अपनी बहिन के आंसू पोछने लगा तभी धुर से एक आदमी अफरा तफरी में मेरे पास पहुँचा और मुझे और मेरी बहिन को जोर से गले से लगा लिया, वह मेरे पिता श्री थे। वह ऑफिस से भाग कर हमारे पास पहुचे, पिता जी नए मेरी धिराजता, निडरता तथा मेरी निर्णय की खूब प्रशंसा की। तभी डॉक्टर बाहर आई और उनोने मेरे पिता श्री से कहा है यह दवाइयां जल्द से जल्द ला कर दीजिये।
मेरे पिता जी तुरंत ही हस्पताल में बनाए दवा खाने से दवाई लाए आएं, तीन घंटे बाद सीमा आंटी ओपीडी कमरे से बहार निकली और मेरे पिता श्री को बताया कि अभी माँ की हालत स्तिर है। और उनके आप चार– पाँच घंटे बाद घर भी ले जा सकते है। और हम आज ही देर रात घर वापस आए, मेरी माँ को अभी भी बुखार तथा उनके अभी भी ठण्ड लग रही थी।
महोदय मेरे पिता श्री के पिता और माता श्री की मौत दो साल पहले हो चुकी है, तथा मेरे नाना और नानी की भी ताभियात ख़राब ही तेहति है, अतः डॉक्टर नए कहा था कि मेरी माँ को फिलाल काफी देखबाल की जरुरत है। हमारा कोई रिश्तेदार भी नही है जो कुछ दिनों के लिए मेरी माँ का देखबाल कर सके अतः मैंने यह निर्णय लिया की मैं ही अपनी माँ की देखबाल करूँगा कुकी मेरे पिता श्री अकेले ही हमारे घर में कमाने वाले इंसान है जिस कारन वश वह माँ के देखबाल में असमर्थ हैं, इसीलिये में अभ माँ का देखबाल करूँगा।
महोदय में अपनी कक्षा का सबसे होनहार विद्यार्ति से जाना जाता हूँ, मैंने पढाई के छेत्र में ही नही बल्कि खेल खुद आदि में भी अपने विद्यालय का सर प्रशंसा से ऊँचा किया है। मैंने हाल ही में नेशनल लेवल ओलिंपियाड में पूरे राज्य में आठवा स्थान ला कर आपने माँ–बाप ही नही परंतु अपने विद्यालय, अद्यपको एवं सेहपतियों का सर गर्व से ऊँचा किया किया है। मुझे स्कूल से इसी कारण वश छात्रावास भी दिया गया। महोदय मेरी माँ की हालत इतनी ख़राब है कि मेरा विद्यालय में आ पाना काफी मुश्किल है इसलिए में आपसे निम्रता पूर्वक निवेदन करता हूँ की आप मेरे को कुछ दिनों के लिये अवकाश प्रदान करें।
मुझे आप 9 जून से लेकर 16 जून तक की छुट्टी प्रदान करें, में आपका यह आभार कभी नही भूल पाउँगा। मैं साथ – साथ अपने सेहपतियों से नोट्स लाए क्र अपना काम भी पूरा करता रहूँगा ताकि परीक्षाओं में कोई मुश्किल ना आ सके। यदि मेरे को पढाई में कोई भी मुश्किल का सामना करना पराए तोह में अपने डाउट्स अद्यपको सॉ बाद में साँझा क्र लूंगा। अतः प्रधानाचार्य महोदय। मेंआपका अवकाश देने पर फिर से धन्यवाद करता हूँ।
धन्यवाद करते हुए,
आपका आज्ञाकारी शिष्य
राज
रोल नो. Xxxx