लूडो का इतिहास और उससे जुड़ी कहानियां | History of Ludo Game in Hindi

दोस्तों आज की इस पोस्ट में जानिए लूडो का इतिहास और उससे जुड़ी कहानियां (History of Ludo Game in Hindi) क्या है। यहाँ आपको पूरी जानकारी मिलेगी। यह हिंदी के ( G. K.) का महत्वपूर्ण सवाल है।

लूडो का इतिहास और उससे जुड़ी कहानियां (History of Ludo Game in Hindi)

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लूडो एक ऐसा खेल हैं जो हम लोगों ने बचपन में बहुत खेला हैं, अभी भी याद हैं जब छुट्टियों में हम कागज के गत्ते वाले लूडो पर खेलते थे तो उस खेल का मजा कुछ और ही था। बचपन मे खेले जाने वाला ये खेल अभी भी लोग बड़ी दिलचस्पी से खेलते हुए देखे जा सकते हैं बस फर्क ये हैं कि पहले लोग कागज वाले लूडो से खेलते थे पर अब लूडो को स्मार्टफोन पर खेला जाता हैं।

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लूडो क्या हैं: (What is Ludo in Hindi)

लूडो का इतिहास

वैसे तो लूडो से ज्यादातर लोग भली-भांति परिचित होंगे लेकिन जो इसे नहीं जानते हैं उन्हें हम बताना चाहेंगे कि लूडो प्रायः 2 से लेकर 4 खिलाड़ी खेल सकते हैं। लूडो में 4 रंग की गोटी होती हैं लाल, हरा, पीला और नीला रंग, इस खेल में हर खिलाड़ी एक रंग चुन लेता हैं और फिर उसी रंग की गोटी से पूरी बाजी खेलते हैं अंत मे जो सबसे पहले सभी गोटियों से पूरी बाजी कर लेता हैं तो अंत मे वही विजेता बनता हैं।

लूडो का इतिहास (History of Ludo in Hindi)

ऐसा नहीं हैं कि लूडो आजकल का खेल हैं बल्कि इसका इतिहास को काफी पुराना हैं अगर इसकी शुरुआत की बात की जाए तो लूडो को बनाने का एक पुरातन भारतीय खेल पचीसी से आईडिया मिला था। अब लूडो केवल भारत ही नहीं अपितु विश्व के बहुत से देशों में खेला जाता हैं, अगर आपने महाभारत देखी होगी तो आपको ये याद होगा कि कैसे पांडवों ने अपना सब कुछ और पांचाली को जुए में गवां दिया पर क्या आपको ये याद हैं वो कौन सा खेल खेल रहे थें। कोई बात नहीं हम आपको बता देते हैं वो लोग पच्चीसी खेल रहें थे बस फर्क ये हैं कि उस समय नियम कुछ और थे और अब समय के अनुसार उनमें बदलाव आ चुका हैं।

इसके अलावा ये भी कहा जाता हैं कि आधुनिक भारत में सबसे पहले इस खेल को मुगल काल में खेला गया था जब अकबर के शासन के समय 16वीं सदी में आगरा के फतेहपुर सीकरी में स्थित उनके महल के दरबार में एक विशाल लूडो का निर्माण किया गया था। इतिहासकारों के अनुसार उस समय अकबर खेल में प्यादों के स्थान पर अपनी दासियों का उपयोग करते थे और वो शानदार तरीके से इस खेल का लुत्फ उठाते थे।

लूडो विकिपीडिया : https://en.wikipedia.org/wiki/Ludo_(board_game)

लूडो से जुड़े किस्से

कहा जाता हैं कि लूडो को अगर केवल एक खेल समझा जाए तो ये थोड़ी सी नासमझी होगी क्योंकि लूडो को खेलते समय दिमाग भी चलाना पड़ता हैं और ये भी ध्यान रखना होता हैं कि हमारी चाल के बाद दूसरे खिलाड़ी की क्या चाल हो सकती हैं।

इस खेल से एक किस्सा 19वीं सदी से भी जुड़ा हुआ हैं जब उस समय के मैसूर के राजा कृष्णराज वोडियार तृतीय का शासन था, उस समय राजा की चार पत्नियां थी और कुल मिलाकर 22 दासिया थी। जब राजा की खेलने की इच्छा हुई तो राजा ने 6 खिलाड़ियों के लिए खेलने वाली पच्चीसी का निर्माण करवाया। पर जब उन्हें इस खेल में मजा आने लगा तो उन्होंने अपने लिए 8, 12 और 16 खिलाड़ियों के खेलने हेतु पच्चीसी बनवाया, ऐसा करवाने के पीछे उनका मुख्य उद्देश्य दासियों के साथ भी खेलने का था।

लेकिन ये तो सिर्फ शुरुआत थीं, इसके बाद राजा ने इस खेल में नैतिकता भी जोड़ दी, राजा ने इस खेल में मनुष्य के द्वारा किए जाने वाले कर्मो के आधार पर ही उसके अगले जन्म की कल्पना को अपने इस खेल से जोड़ दिया। इसके लिए राजा ने इस खेल में अलग-अलग पायदान जोड़ दिए, उसमें ये बताया गया कि अच्छे कर्म करने से मनुष्य अगले जन्म में राज सिंहासन भी प्राप्त कर सकता हैं।

अलग-अलग नामों से जाना जाता हैं लूडो

वर्तमान में विश्व के अधिकतर देशों में खेले जाने वाले इस खेल के कई नाम हैं खुद भारत में ही इसको विभिन्न नामों से जाना जाता हैं जैसेकि पच्चीसी, चौपड़, चोसड, सोकटम, पगड़े, वर्गस और दायकटम इत्यादि।

अगर विदेशों की बात करें तो इसे नार्थ अमेरिका में प्रचीसी (Parchisi), स्पेन में पर्चिस (Perchis), ग्रीस में गृम्बलर (Grumbler), इटली में डोंट गेट अपसेट (Don’t get Upset), चीन, सिंगापुर और मलेशिया में एरोप्लेन चेस (Aeroplane Chess) भी कहा जाता हैं।

स्मार्टफोन के इस युग मे अब 6 खिलाड़ी तक एक साथ इस खेल को खेल सकते हैं।

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