दोस्तो आज हम भारतीय क्रिकेटर शिखर धवन के जीवन ( Shikhar Dhawan Biography in Hindi) के बारे में जानेंगे | यदि आपको नही पता है तो यहाँ आपको पूरी जानकारी मिलेगी
शिखर धवन- टीम इंडिया का गब्बर
क्या आप जानते है कि इंडियन क्रिकेट में गब्बर कौन है। जी हां, सही पहचाना आपने। शिखर धवन को ही भारतीय क्रिकेट में गब्बर के नाम से पुकारा जाता है। लेकिन शिखर को शुरू से ही गब्बर नही कहा गया था बल्कि उनके विपक्षी गेंदबाजों के खिलाफ बेखौफ बल्लेबाज़ी करने के अंदाज के कारण ही उन्हें गब्बर कहा जाता है।
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इस समय शिखर धवन क्रिकेट जगत के खतरनाक बल्लेबाजों में शुमार किये जाते है। और समूचे विश्व क्रिकेट में बायें हाथ के बल्लेबाजों की फेरहिस्त में काफी ऊपर है। फिलहाल शिखर धवन चोट के चलते टीम इंडिया से बाहर चल रहे है लेकिन जब-जब वो मैदान पर उतरते है तो पूरे जोश के साथ उतरते हैं
शिखर धवन
वास्तविक नाम | शिखर धवन |
उप-नाम | क्रिकेटर |
पेशा | गब्बर |
कद | 5.11 फीट |
शारीरिक आकर | 40-३२-16 |
वजन | 71 किलो |
बालों का रंग | काला |
आँखों का रंग | गहरा भूरा |
जन्म तारीख | 5 दिसम्बर 1985 |
उम्र(2018 में) | 32 साल |
गृह नगर | दिल्ली |
शिखर धवन की शुरुआती जिंदगी
टीम इंडिया के बाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज शिखर धवन का जन्म दिल्ली के पंजाबी परिवार में 5 दिसंबर 1985 को हुआ था। शिखर की माता का नाम सुनैना और पिता का नाम महेन्द्र पाल धवन है।
शिखर धवन ने अपनी स्कूलिंग दिल्ली के मीरा बाग में स्थित सेंट मार्क्स सीनियर सेकंडरी स्कूल से की। शिखर धवन ने 12 वर्ष की उम्र से ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपने क्रिकेट के गुर सीखने की शुरुआत सोंनेट क्लब से की जहां उनकी कोचिंग तारक सिन्हा ने की।
शिखर धवन के क्रिकेट करियर की शुरुआत
धवन को पहली बार स्टेट लेवल पर खेलने का मौका 1999-2000 की विजय मर्चेंट ट्रॉफी में दिल्ली की तरफ से मिला। उसके बाद धवन ने विजय मर्चेंट ट्रॉफी में अपने बल्ले की धाक जमाई और 2001-2002 के सत्र में उन्होंने सबसे ज्यादा रन बनाए। उनकी बल्लेबाजी की वजह से दिल्ली ने इस ट्रॉफी के फाइनल में जगह बनाई। धवन ने 9 पारियों में 83 की औसत से 755 रन बनाए और इसमे उनके दो शतक भी शामिल थे।
इसके बाद धवन ने पीछे मुड़ कर नही देखा और फिर उनका चयन विजय हज़ारे ट्रॉफी के लिए नार्थ जोन की टीम में हुआ। दिल्ली के लिये अंडर-16 में बढ़िया प्रदर्शन करने का इनाम उन्हें अंडर-17 एशिया कप के लिए भारतीय टीम में चयन के रूप में मिला।
एशिया कप में भी उनका बल्ला खूब चला और इस वजह से उन्हें दिल्ली अंडर-19 की टीम में कूच बिहार ट्राफी के लिए चुन लिया गया। इस टूर्नामेंट में भी धवन का बल्ला खूब बोला।
उसके बाद जब भी धवन का चयन किसी भी टीम में हुआ तो उनका बल्ले ने खूब रन उगले। इसी फार्म के चलते उन्हें 2003 में दिल्ली की अंडर-19 टीम का कप्तान बना दिया गया।
शिखर धवन को कैसे मिला अंतराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका
घरेलू स्तर पर निरंतर रूप से बढ़िया प्रदर्शन करने की वजह से उन्हें 2004 में बांग्लादेश में हुए अंडर-19 विश्व कप में खेलने का मौका मिला। यह धवन के लिए किसी सपने के पूरे होने जैसा ही था।
इस विश्व कप में धवन ने अपने बल्ले से सबको अपनी बल्लेबाजी का कायल बना लिया। इस टूर्नामेंट में शिखर के बल्ले से 7 पारियों में 505 रन निकले। अंडर-19 विश्वकप में धवन ने 3 शतक और 1 अर्धशतक जड़ा और उन्हें प्लेयर ऑफ टूर्नामेंट का अवार्ड भी मिला।
शिखर धवन का जूनियर से सीनियर तक का सफर
अभी तक धवन जूनियर टीमों की तरफ से ही खेले थे लेकिन 2004 में हुए अंडर-19 विश्व कप के बाद उन्हें दिल्ली की सीनियर टीम से खेलने का मौका मिला। उन्होंने 2004-2005 के रणजी ट्रॉफी के लिए दिल्ली की टीम से प्रथम श्रेणी प्रारूप में पर्दापण किया।
जब शिखर ने दिल्ली के लिए रणजी खेलना शुरू किया तब उस समय दिल्ली की टीम में अजय जडेजा और आकाश चोपड़ा जैसे वरिष्ठ खिलाडी थे। अपनी पहली ही रणजी ट्रॉफी में शिखर ने 461 रन बनाए।
इसके बाद धवन ने चैलेंजर ट्रॉफी में भी बढ़िया प्रदर्शन किया और इसके एक मैच में भारतीय क्रिकेट के इतिहास के सबसे महान कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के साथ पारी की शुरुआत की थी और इन दोनों बल्लेबाजों ने पहले विकेट के लिए 246 रन जोड़े थे। अब तक उनका चयन इंडिया ए के लिए हो चुका था। 2006 में अबुधाबी में यूरो-एशिया कप हुआ था जिसमे भारत ए के अलावा आयरलैंड, नीदरलैंड, पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात की ए टीमों ने हिस्सा लिया। इस टूर्नामेंट में धवन एक बार फिर सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बने।
अपने दमदार प्रदर्शन के चलते 2007 में उन्हें दिल्ली की वन-डे रणजी टीम का कप्तान बना दिया गया जबकि उस समय दिल्ली की टीम में वीरेन्द्र सहवाग, आशीष नेहरा, आकाश चोपड़ा और गौतम गम्भीर, रोहित शर्मा सरीखे खिलाड़ी मौजूद थे। उसके बाद धवन का बल्ला कई मैचों में तो चला पर फिर शिखर की फॉर्म कही खो गयी थी। उसके बाद शिखर का टीम से अंदर-बाहर का खेल चलता रहा।
शिखर धवन का अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में पर्दापण
शिखर धवन को डोमेस्टिक लेवल पर क्रिकेट खेलते हुए काफी समय हो चुका था और उनका प्रदर्शन बढ़िया रहा था। 2010 में भारत दौरे पर आई ऑस्ट्रेलिया टीम के किये वन-डे टीम में उनका चयन हुआ। और उन्हें श्रृंखला के दूसरे मैच में पर्दापण करने का मौका मिला लेकिन वो इस मौके को भुना नही पाये और पहली ही गेंद पर बोल्ड हो गए।
इसके बाद धवन के अंतराष्ट्रीय करियर में उतार-चढ़ाव चलता रहा। इस लिए वो कभी टीम से बाहर और कभी अंदर रहने लगे। इसका एक कारण यह भी था कि उस समय टीम इंडिया में सबसे आक्रामक जोड़ी बल्लेबाजी करती थी वो थी सचिन तेंदुलकर और वीरेन्द्र सहवाग। इन दोनों के अलावा उस समय टीम में गौतम गंभीर भी शामिल थे। तो ऐसे में उनका सलामी बल्लेबाज के तौर पर उतर पाना काफी मुश्किल था।
शिखर धवन के अंतराष्ट्रीय क्रिकेट की दूसरी पारी और असली गब्बर की शुरुआत
अब तक धवन घरेलू स्तर पर काफी क्रिकेट खेल चुके थे और आईपीएल भी खेल रहे थे पर नेशनल टीम में अभी भी अपनी जगह बनाने में नाकाम रहे थे। लेकिन 2013 में जब ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत के दौरे पर चार टेस्ट मैच खेलने के लिए आई तो जबसे ही धवन का अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में सिक्का जोरो से चलने लगा। 2012-2103 में घरेलू क्रिकेट में अच्छा खेलने का इनाम उन्हें मिला भारत की टेस्ट टीम में चयन के साथ।
उनका चयन तीसरे ओपनर के रूप में हुआ जबकि टीम की पहली और दूसरी चॉइस मुरली विजय और वीरेंद्र सहवाग थे। मोहाली के तीसरे टेस्ट में खराब फॉर्म से जूझ रहे सहवाग की जगह को धवन को मौका मिला। लेकिन इस बार धवन कोई गलती नही करना चाहते थे और उन्होंने अपने पहले ही टेस्ट मैच में शतक जड़ दिया और वो काफी आक्रामक तरीके से खेल रहे थे इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपना शतक महज 85 गेंदों पर पूरा कर लिया था। वो 174 गेंदों पर 187 रन बनाकर आउट हुए।
लेकिन फिर धवन को टीम से बाहर होना पड़ा और इस बार वजह बनी उनकी चोट। इसी मैच में फील्डिंग करते समय उनके हाथ मे चोट लगी और उन्हें 6 सप्ताह के लिए क्रिकेट के मैदान से दूर होना पड़ा लेकिन अपनी इस शानदार पारी के लिए उन्हें मैन ऑफ दी मैच के अवार्ड से नवाजा गया था।
चोट से उबरने के बाद धवन ने इंडियन प्रीमियर लीग में उनके अच्छे प्रदर्शन के चलते उन्हें 2013 में इंग्लैंड में होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी के लिए बतौर सलामी बल्लेबाज के रूप में चुन लिया गया। जहां पहले ही मैच में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शतक जड़ कर उन्होंने वन-डे में भी अपने आक्रामक तेवर दिखा दिए। और पूरे टूर्नामेंट में उनका बल्ला खूब चला और उन्हें गोल्डन बेट से नवाजा गया।
इसके बाद शिकार वेस्टइंडीज़ के दौरे पर गए जहां उनका प्रदर्शन मिला-जुला रहा। 2013 के आखिर में ऑस्ट्रेलिया एकदिवसीय मैचों की श्रृंखला के लिए भारत आई और शिखर धवन ने रोहित शर्मा के साथ मिलकर 7 मैचों में 3 शतकीय साझेदारी की। 2013 में उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए उन्हें विस्डन क्रिकेट ऑफ दी ईयर का भी इनाम मिला। और अब धवन टीम के लिए सलामी बल्लेबाज की जगह पक्की कर चुके थे। शिखर के फॉर्म ने कई बार उनका साथ छोड़ा पर हर बार धवन ने बढ़िया तरीके से वापसी की।
2018 में धवन ने अपना 100वां एकदिवसीय दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला और उसी मैच में उन्होंने शतक भी जड़ा था। अब तक धवन टीम इंडिया के लिए विश्व कप और चैंपियंस ट्रॉफी जैसे बड़े टूर्नामेंट खेल चुके है। इसके अलावा शिखर इंडियन प्रीमियर लीग में अब तक पांच टीमो के लिए खेल चुके है।
शिखर धवन का निजी जीवन (Shikhar Dhawan Contact Details)
2012 में शिखर ने अपने से 12 वर्ष बड़ी गर्लफ्रैंड आएशा मुखर्जी के साथ सात फेरे लिए। आएशा पहले से तलाकशुदा थी और उनकी दो लड़कियां भी थी। शिखर और आएशा ने बेटे को जन्म दिया जिसका नाम जोरावर रखा गया।
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शिखर धवन के अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण
- टेस्ट में पर्दापण- 14 मार्च 2013 ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध
- एकदिवसीय मैच में पर्दापण- 20 अक्टूबर 2010 विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया
- T20I पर्दापण- 4 जून 2011
शिखर के आंकड़े (अंतराष्ट्रीय मैच)
शिखर अब तक 34 टेस्ट मैच खेल चुके है जिसमें उन्होंने 40.61 की औसत से 2315 रन बनाए है जिसमे 7 शतक और 5 अर्धशतक शामिल है।
130 एकदिवसीय मैचों में शिखर ने 5650 रन बनाए है वो भी 45.20 की औसत से। जिसमे उन्होंने 17 शतक और 29 अर्धशतक लगाये है।
शिखर अब तक 61 T20I खेल चुके है जिसमे उन्होंने 10 अर्धशतक की मदद से 1588 रन बनाए है
आज की पोस्ट के माध्यम से आपने जाना शिखर धवन का (Shikhar Dhawan Biography)जीवन परिचय। आशा करते है की आपने इस लेख के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की होगी।
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