दोस्तो आज हम इस पोस्ट में सोहनी महिवाल की प्रेम कहानी (सोहनी महिवाल की प्रेम) के बारे में पढ़ेंगे ।
सोहनी महिवाल की प्रेम कहानी | Sohni Mahiwal Love Story In Hindi |Sohni mahiwal ki prem kahani
कहा जाता हैं कि दुनिया में जिस चीज का मिलना सबसे ज्यादा मुश्किल हैं वो हैं सच्चा प्यार, जी हां दुनिया में आपको सब कुछ किसी ना किसी तरह से मिल जाता हैं लेकिन दुनिया में हर किसी को सच्चा प्यार बहुत मुश्किल से ही मिलता हैं। पर ऐसा बिल्कुल नहीं हैं कि दुनिया में सच्चा प्यार होता ही नहीं हैं बल्कि इतिहास में कुछ ऐसी जोड़ियां रही हैं जिनके बीच सच्चे प्यार की कसमें आज भी खाई जाती हैं उनमें से एक ऐसी ही जोड़ी थी सोहनी महिवाल की जिनके बीच सच्चे प्यार को आज भी याद किया जाता हैं और उनके प्यार की मिसालें दी जाती हैं।
आज हम आपको उन दोनों के बीच की प्रेम कहानी के बारें में बताने जा रहे हैं।
इस कहानी की शुरुआत आज के समय के पाकिस्तान से शुरू हुई थीं, गुजरात का जो हिस्सा पाकिस्तान में हैं, उसके एक छोटे से गांव में एक कुम्हार का परिवार रहता था, उसी परिवार में सोहनी का जन्म हुआ था, सोहनी के पिता उस समय तुलहा प्रकार की मिट्टी से बर्तन तैयार करते थे और सोहनी अपने पिता के कार्यों में उनकी मदद करती थी। इसके अलावा वो तैयार हो चुके मिट्टी के बर्तनों में अपने हाथों के द्वारा सुंदर चित्रकारी करती रहती थीं, बताया जाता हैं जिस प्रकार सोहनी बर्तनों को खूबसूरत बनाती थी उसी प्रकार वो खुद भी खूबसूरत दिखाई देती थीं।
एक बार जब वो अपने पिता की मदद कर रह तब उसी समय वहां उज्बेकिस्तान का शहज़ादा इज्जत बेग उनकी दुकान पर आया और वो सोहनी को देखता रहा और अपना दिल खो बैठा, ये इज्जत बेग ही आगे चलकर महिवाल बना। अपने सच्चे प्यार को पाने के लिए उज्बेकिस्तान के उस शहजादे ने अपने महल की शान-शौकत को छोड़ कर गांव की धूल-मिट्टी में रहना चुन लिया, शहजादा पहली ही नजर में सोहनी को दिल दे चुका था इसलिए वो अपने दोस्तों के साथ सोहनी के गांव में रहने लग गया। अब सोहनी को देखने के लिए प्रतिदिन मटके खरीदने के बहाने से उसकी दुकान जाने लगा, धीरे-धीरे सोहनी को भी महिवाल भाने लगा।
सोहनी के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने के लिए इज्जत बेग ने अपनी पहचान बताये बिना सोहनी के पिता से कहा कि वो उसको कोई काम दे दें। तब सोहनी के पिता ने इज्जत बेग को अपने घर पर पालतू जानवरों को करने के लिए रख लिया, उन दिनों पंजाब में पालतू जानवरों को चराने वाले को महिवाल कहा जाता था इसलिए इज्जत बेग को महिवाल के नाम से जाने लगा।
वास्तव में इज्जत बेग को यकीन था कि वो और सोहनी एक हो जाएंगे और फिर उसके बाद वो खुशी-खुशी रहने लगेंगे पर कहते हैं ना कि जब तक सच्चे प्यार में कोई इम्तिहान ना हो तो उसे सच्चा प्यार नहीं माना जाता। उन दोनों की प्रेम कहानी में तब मोड़ आया जब सोहनी के पिता ने सोहनी की शादी गांव के एक अन्य कुम्हार युवक से तय कर दी। इस बात को सुनकर सोहनी और इज्जत की जिंदगी में तूफान आ गया और उनकी सपनों की दुनिया चकनाचूर हो गई।
उन दिनों एक रिवाज प्रचलित था कि कुम्हार जाति के लोग अपने बच्चों की शादी उसी गांव में कुम्हार जाति के लोगों से ही करते थे ताकि उनके बच्चे हमेशा उनकी नजरों के सामने रहें। इस बारें में कुछ लोगों का ये मानना था कि सोहनी और इज्जत के बीच में चल रहे प्रेम प्रसंग का उनके परिवार को पता चल गया था इसलिए सोहनी की शादी कही और तय कर दी गई थी। कुछ दिनों बाद इज्जत बेग जिस लड़की से बेइंतहा मोहब्बत करता था उसकी डोली किसी और के घर चली गई।
सोहनी की शादी हो जाने के बाद इज्जत बेग का हाल काफी बुरा हो गया था और वो अक्सर रोता रहता था तो दूसरी तरफ सोहनी भी काफी बेचैन रहा करती थीं। सोहनी की कही और शादी हो जाने के बाद भी महिवाल उसे किसी भी कीमत पर अपना बनाना चाहता था।
सोहनी के अधूरे प्यार और उसकी याद में महिवाल फकीर बन गया और वो दर-बदर भटकने लगा, पर जिनकी मोहब्बत सच्ची होती हैं तो जो तकदीर उन्हें अलग कर देती हैं वो उन्हें मिला भी देती हैं, शादी के बाद भी सोहनी महिवाल से चोरी-छुपे मिलने लगी, और दोनों के बीच बेइंतहा प्यार फिर से उमड़ने लगा। दोनों ने ये सोचा कि वो घरवालों से छुपकर एक दूसरे से मिला करेंगे।
महिवाल चिनाब नदी की दूसरी तरफ रात को एक पेड़ के नीचे सोहनी का इंतज़ार करने लगा और सोहनी हर रात को अंधेरे में पानी के मटके के सहारे महिवाल से मिलने जानी लगी, दोनों एक दूसरे के साथ अपनी पुरानी यादों में खो जाते और रात वही बिता देते थे।
एक बार सोहनी की भाभी को इस बात की भनक लग गई कि सोहनी चोरी-छुपे महिवाल से मिलने जाती हैं तो इस हरकत के बारे उसने सोहनी की सास को बता दिया, पर अभी भी सोहनी-महिवाल दोनों एक-दूसरे से मिलने लगे और प्यार की दुनिया मे खोते रहते पर उन्हें इस बात की बिल्कुल खबर नहीं थी कि सोहनी की सास और भाभी उनके खिलाफ कोई साजिश रच रहीं हैं।
सोहनी की भाभी और सास ने मिलकर सोहनी को मारने का इरादा किया, उन्होंने उस मटके को छुपा दिया जिसके बहाने सोहनी महिवाल से मिलने जाती थीं, उसकी जगह दोनों ने एक कमजोर मटका रख दिया। जब सोहनी उस मटके को लेकर चिनाब नदी को पार करने लगीं तो वो मटका टूट गया और सोहनी चिनाब नदी की तेज लहरों के बीच में डूब कर मर गई। सोहनी के महिवाल के पास ना पहुंचने पर महिवाल ने भी चिनाब की तेज लहरों में कूद कर अपनी जान दे दी।
बाद में उन दोनों की लाशें चिनाब नदी में बहुत दूर मिली, जीते-जी वो तो एक ना हो सकें पर मरने के बाद जब उन दोनों की लाशें निकाली गई तो वो एक दूसरे से चिपकी हुई थीं। वो दोनों प्यार करने वालों के लिए एक मिसाल बन गए थे इसी वजह से उन दोनों की याद में शाहदापुर में एक मजार बनी हुई हैं।
आज की पोस्ट के माध्यम से आपने सोहनी महिवाल की प्रेम कहानी (Sohni Mahiwal Love Story) के बारे में जाना । आशा करते है की आपने इस कहानी के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की होगी।
अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई है तो इस पोस्ट को फेसबुक, Instagram और Pintrest पे share करें।
ऐसे ही रोजाना जानकारी पाने के लिए जुड़े रहे hindi.todaysera.com/ के साथ।